Fathers Day: फादर्स डे पर एमपी के बड़वानी में एक शख्स ने ऐसा नेक काम किया कि अब उसकी चर्चा हर एक जुबान पर है. शख्स ने अपने स्वर्गीय माता-पिता का मंदिर बनवा डाला और फादर्स डे पर उसका उद्घाटन कर दिया. बड़वानी के रिटायर्ड शिक्षक ने फादर्स डे पर अपने माता-पिता को समर्पित मंदिर बनवाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि शिक्षक बनने के बाद माता-पिता की सेवा नहीं कर पाया, नौकरी की वजह से घर से बाहर रहा, इसलिए अब उनके नाम का मंदिर बनवाकर माता-पिता की सेवा करूंगा.
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रिटायर शिक्षक लक्ष्मीचंद भालसे ने बताया, मैंने अपने माता-पिता का मंदिर बनाया है. मेरी पढ़ाई के दौरान मेरे माता-पिता ने बहुत खर्च किया, बहुत संघर्ष किया, लेकिन मैं अपनी सर्विस के दौरान इधर-उधर ट्रांसफर होता रहा, अपने माता-पिता की सेवा नहीं कर पाया. मैं लगभग 25 साल तक सर्विस के दौरान बाहर रहा और अब रिटायर होकर वापस लौटा तो मैंने सोचा मैं इस तरह माता-पिता की सेवा करूंगा.
सर्विस के दौरान नहीं कर पाया मंदिर में सुबह प्रतिदिन दिया लगाया जाएगा. आज के युग में बेटे मां बाप की सेवा नहीं करते हैं. मंदिर बनाने के पीछे मेरा उद्देश्य है कि बेटे अपने मां-बाप की सेवा करें. वह सब कुछ होते हैं. वह भगवान का रूप होते हैं.
उद्घाटन पर लोगों को खिलाई दाल बाटी का प्रसाद
अपने स्वर्गीय माता पिता की याद में बनवाए मंदिर का उद्घाटन फादर्स डे पर किया और इस मौके पर आए लोगों को दाल-बाटी का प्रसाद खिलाया. रिटायर्ड शासकीय शिक्षक की अब जिले भर में चर्चा हो रही है. जिले के सांगवी ठान निवासी के रहने वाले लक्ष्मीचंद भालसे मैं अपने माता-पिता का मंदिर बनाया. फादर्स डे पर उसका मुहूर्त करते हुए गांव भर को एकत्रित किया.
सौतेली मां के फोटो भी मंदिर में लगाए
लक्ष्मी चंद भालसे ने अपने पिता के साथ अपनी अपनी माता के साथ-साथ सौतेली माता के भी फोटो को मंदिर में स्थापित किया है. भालसे से कहते हैं शासकीय सेवा के दौरान खरगोन जिले के बड़वाह में 27 साल तक नौकरी की. माता पिता का देहांत लगभग 15 वर्ष पहले हुआ था, उन्होंने मुझे पढ़ाने और जिंदगी बनाने के लिए कठिन संघर्ष किया था, लेकिन मुझे अफसोस था कि मैं अपने माता पिता की सेवा नहीं कर पाया. इसलिए मैंने मंदिर की स्थापना की है. रोज सुबह यहां पर दीया जलाऊंगा और मेरा पूरा परिवार माता पिता की सेवा करेगा.
भालसे ने कहा- आज की पीढ़ी अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करती, मैं चाहता हूं कि वह मंदिर से प्रेरणा लेकर माता-पिता का सम्मान करें, क्योंकि माता-पिता भगवान का रूप होते हैं. भालसे के द्वारा बनाए गए इस मंदिर की खूब चर्चा हो रही है और लोग इस निर्णय की तारीफ कर रहे हैं.
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