Rajasthan में 53 बागी नेता बने BJP और कांग्रेस के लिए सिर दर्द, अपनो को ही पहुंचा रहे नुकसान

53 rebel leaders in Rajasthan become headache for BJP and Congress: राजस्थान के रण में अब चुनावी तस्वीर साफ होने लगी है. सभी 200 सीटों पर राजनीतिक विसात बिछ चुकी है. कांग्रेस, भाजपा व तीसरे मोर्चे द्वारा प्रत्याशी उतारे गए हैं. इसमें 53 नेता कांग्रेस और भाजपा के लिए सर दर्द बन चुके हैं. नेताओं […]

Rajasthan में 53 बागी नेता बने BJP और कांग्रेस के लिए सर दर्द, अपनो को ही पहुंचा रहे नुकसान
Rajasthan में 53 बागी नेता बने BJP और कांग्रेस के लिए सर दर्द, अपनो को ही पहुंचा रहे नुकसान

Himanshu Sharma

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53 rebel leaders in Rajasthan become headache for BJP and Congress: राजस्थान के रण में अब चुनावी तस्वीर साफ होने लगी है. सभी 200 सीटों पर राजनीतिक विसात बिछ चुकी है. कांग्रेस, भाजपा व तीसरे मोर्चे द्वारा प्रत्याशी उतारे गए हैं. इसमें 53 नेता कांग्रेस और भाजपा के लिए सर दर्द बन चुके हैं. नेताओं ने अपनी ही पार्टी से बगावत की व निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें ज्यादातर बड़े नाम है. ऐसे में पार्टियों को अब नुकसान का डर सताने लगा है.

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टिकट वितरण में कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. कुछ विधायकों के टिकट काटे, तो कुछ टिकट मांग रहे नेताओं को पार्टी ने भाव नहीं दिया. ऐसे में नेताओं ने अपनी ही पार्टी से बगावत कर दी. बागी विधायक व नेताओं ने पार्टियों को परेशान कर दिया है. कांग्रेस व भाजपा में 53 नेता ऐसे हैं, जिनसे पार्टी को खतरा सताने लगा है. कांग्रेस में 25 व भाजपा में 28 नेता शामिल हैं.

कांग्रेस के बागी

कांग्रेस की बात करें यहां 25 बागी नेताओं ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. तो सरदारपुर से नगर परिषद के मौजूदा सभापति राजकरण चौधरी बागी हुए हैं. मसूदा से पूर्व विधायक व संसदीय सचिव ब्रह्मदेव कुमावत, हिंडौन सिटी से प्रदेश जाटव, राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ से विधायक जौहरी लाल मीणा, फलोदी से वरिष्ठ नेता व सरपंच कुंभ सिंह पालावत, सागवाड़ा से सरपंच संघ जिला संरक्षक पन्नालाल डोडियार, सिवाना से पूर्व अध्यक्ष राजसिको को सुनील परिहार, सूरसागर से पूर्व मेयर जोधपुर रामेश्वर दाधीच, शाहपुरा से पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल, नगर से तीन बार जिला अध्यक्ष रहे डॉक्टर गोविंद शर्मा, गंगापुर सिटी से रेलवे अधिकारी रघुवीर सिंह, केकड़ी से पूर्व विधायक बाबूलाल सिंघानिया, पुष्कर से पूर्व विधायक गोपाल माहिती, अजमेर दक्षिण से पीपीसी सदस्य हेमंत भाटी, खीमसर से पूर्व प्रत्याशी दुर्ग सिंह चौहान, चौरासी से पीसीसी महासचिव महेंद्र बरजोड़, नागौर से पूर्व मंत्री हबीबुल्लरह्मान, लूणकरणसर से पूर्व गृह राज्य मंत्री रविंद्र बेनीवाल, डूंगरपुर से मौजूदा प्रधान देवराज रोत, कामा से वरिष्ठ कांग्रेस नेता खुर्शीद अहमद, छबड़ा से आरयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष नरेश मीणा, पीपल्दा से देहात जिला अध्यक्ष सरोज मीणा, बड़ी सादड़ी से प्रकाश चौधरी, मनोहरनाथ से पूर्व विधायक कैलाश मीणा, बांदीकुई से पूर्व जिला प्रमुख विनोद शर्मा बागी हो चुके हैं व अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

बीजेपी के ये बागी बने सिरदर्द!

इसी तरह भाजपा में 28 बागियों ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ ताल ठोंक दी है. बीजेपी में बाड़मेर से पूर्व विधायक गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका चौधरी, शिव से छात्र संघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी, चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान सिंह आक्या, झोटवाड़ा से राजपाल सिंह शेखावत, सांचौर से जीवाराम चौधरी, डग से पूर्व विधायक रामचंद्र सुनारीवाल, गढ़ी से पूर्व प्रधान लक्ष्मण डिंडोर, बागीदौरा से पूर्व महासचिव खेमराज गरासिया, कपासन से दिनेश बुनकर, लक्ष्मणगढ़ से महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अलका शर्मा, गंगापुर सिटी से माली समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष छोटेलाल सैनी, बस्ती से जितेंद्र मीणा, शाहपुरा से कैलाश मेघवाल, बांसवाड़ा से हकमू मईड़ा, आसींद से धनराज गुर्जर, कोटपूतली से महेश गोयल, रामगढ़ से सुखविंदर सिंह, फतेहपुर से मधुसूदन भिंडा, सीकर से ताराचंद धायल, पिलानी से कैलाश मेघवाल, झुंझुनू से राजेंद्र भाबू, खंडेला से बंशीधर बाजिया, लाडपुरा से भवानी सिंह राजावत, बयान से डॉ रितु बनावट, कामा से मदन मोहन सिंघल, अजमेर उत्तर से सुरेंद्र सिंह शेखावत, डीडवाना से यूनुस खान, सूरतगढ़ से राजेंद्र बहादुर व 28 ऐसे नेता है। जो बगावत कर रहे हैं। तो पार्टी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

जल्द शुरू होगा सभाओं का शोर

प्रदेश में चुनावी घमासान के बीच अब सभाओं का सिलसिला भी शुरू होगा. इस बीच भाजपा के स्टार प्रचारकों में 40 नेता शामिल हैं. इसमें 20 महिलाएं 46 नए और युवा चेहरे हैं. तो कांग्रेस ने भी 40 से ज्यादा चुनाव प्रचार में नए चेहरे उतरे हैं. इसमें 28 महिलाएं 34 नए चेहरे और युवा हैं. साथ ही स्थानीय स्तर पर अलग-अलग नेताओं को अलग-अलग काम की जिम्मेदारी दी गई है. भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों पूरी ताकत झोंकने में लगी हैं. आसपास के राज्यों के नेताओं को चुनाव प्रचार में उतर गया है. हरियाणा उत्तर प्रदेश सहित आसपास के नेताओं ने राजस्थान के अलग-अलग शहरों में डेरा डाल लिया है.

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