Ajmer News: एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई से बचाने के एवज में 2 करोड़ की घूस की मांग के मामले में आज एसीबी कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने एसीबी की मांग को मानते हुए मुख्य आरोपी दिव्या मित्तल को 3 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. ध्यान देने वाली बात है कि गुरुवार को गृह विभाग ने कार्रवाई करते हुए दिव्या मित्तल को निलंबित कर दिया था. दिव्या एसओजी में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थीं.
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दरअसल एसीबी ने सोमवार को दिव्या मित्तल के अजमेर स्थित एआरजी सोसायटी के उनके फ्लैट समेत जयपुर स्थित एक फ्लैट पर, उदयपुर के सिकलवास स्थित रिसॉर्ट, चिड़ावा स्थित इनके पैतृक घर पर छापा मारा और कुछ दस्तावेज बरामद किया. साथ ही दिव्या को हिरासत में लेकर जयपुर पूछताछ के लिए ले गई.
इस दौरान एसीबी के एएसपी बजरंग सिंह ने बताया- ‘एक परिवादी एसीबी मुख्यालय पर आए थे. उन्होंने इस बात की सूचना दी थी कि उसके खिलाफ एक प्रकरण दर्ज होने के बाद उसमें से नाम हटाने के एवज में दो करोड़ रुपए की डिमांड की जा रही है. परिवादी ने कहा कि उसका इसके अंदर कोई दोष नहीं है. उसने बताया- जब मैं अनुसंधान अधिकारी दिव्या मित्तल के पास गया तो उन्होंने मुझसे कहा कि आप उदयपुर की तरफ रवाना हो जाओ. आपके पास एक फोन आएगा. उसके अनुसार वहां चले जाना. थोड़ी देर में निकलते ही फोन आया और उसके बाद मैं उदयपुर के लिए रवाना हो गया. वहां मुझसे दो करोड़ की मांग की गई. असमर्थता जाहिर करने पर डरा-धमकाकर एक करोड़ रुपए से कम नहीं होने की बात कही गई. यहां से लौटकर एसीबी को रिपार्ट दी.’
ये है मामला
दरअसल मई 2021 में अजमेर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 16 करोड़ रुपए से ज्यादा की नशीली दवाओं की खेप पकड़ी थी. इसमें जयपुर में साढ़े पांच करोड़ और अजमेर में 11 करोड़ की दवाओं के साथ आरोपी पकड़े गए थे. चूंकि परिवादी की हरिद्वार में दवाई बनाने की फैक्ट्री है. परिवादी पर आरोप है कि अजमेर में साइकोट्रोपिक ड्रग से संबंधित दर्ज मुकदमों का कनेक्शन उनकी फैक्ट्री से है. दरअसल रेड की कार्रवाई में जो दवाएं मिली हैं उनमें से कुछ परिवादी की फैक्ट्री में बनी हैं. इसी मामले से नाम हटाने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप है. परिवादी ने 4 जनवरी को एसीबी से संपर्क किया था. परिवादी का कहना है कि पूर मामले में उन्हें जबरन घसीटकर पैसे मांगे जा रहे हैं.
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