Dholpur news: धौलपुर के तीर्थराज मुचकुन्द नगरी में रविवार को कौमी एकता की एक अनूठी मिशाल देखी गई. यहां पर हिन्दू, मुस्लिम और सिख समुदाय की गरीब अनाथ कन्याओं के 101 जोड़ो को सामूहिक विवाह बंधन में बांधा गया. इनमे 54 कन्याएं ऐसी थीं जिनके माता-पिता नहीं हैं और 22 कन्याएं ऐसी थीं जिनके माता-पिता और भाई भी नहीं हैं. जिले के प्रमुख समाजसेवी अनिल अग्रवाल द्वारा तीर्थराज मचकुंड सरोवर पर आयोजित कराए गए इस विवाह सम्मलेन में खास बात ये रही कि एक ही मंडप के नीचे सिख, मुस्लिम और हिन्दू रीती रिवाज से विवाह सम्पन्न कराये गए. सामूहिक विवाह समारोह में करौली, मण्डरायल, श्योपुर, शिवपुरी, मासलपुर, करौली, धौलपुर, कैलादेवी सहित दर्जन भर जिलों के गांवों की युवतियां शामिल हैं और इनमें अधिकांश अनाथ हैं.
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समारोह के आयोजक प्रमुख समाज सेवी अनिल अग्रवाल राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के दो दर्जन से अधिक जिलों की करीब 350 युवतियां का विवाह करा चुके हैं. इस वार उन्होंने 6 वां विवाह सम्मेलन 12 फरवरी को तीर्थराज मुचकुन्द नगरी में 101 जोड़ों की शादी कराई हैं.
दिखा सामाजाकि सौहार्द
ऐतिहासिक तीर्थराज मुचकुन्द नगरी में धर्म, मजहब और जातिवाद धराशाई हो गया, जब हिन्दू, मुस्लिम और सिख समुदाय के युवक युवतियों का सामूहिक विवाह सम्मलेन का आयोजन एक मंच पर धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ किया गया. विवाह सम्मलेन में पंडित के मन्त्र, मौलवी द्वारा निकाह की रश्म और सिख धर्म के शादी के संगम ने मानवता को एकसूत्र में बांध दिया.
आयोजक अनिल अग्रवाल ने बताया कि उनका परिवार शुरू से समाज सेवा में रहा है. अनिल ने कहा कि पूर्व में उनका परिवार काफी गरीब हुआ करता था. ऐसे में बेटियों की शादी के दर्द को परिवार ने महसूस किया था. सर्राफा व्यापारी अग्रवाल ने बताया कि उनके द्वारा धौलपुर जिले में खासकर डांग क्षेत्र में गरीब, निर्धन जिनके माता पिता और भाई नहीं है. उन बच्चियों को तलाश कर रिश्ते तय कराए जाते हैं. रविवार को हुए सामूहिक विवाह सम्मलेन में 101 युवतियों के रिश्ते तय कराए थे. जिनका आज तीर्थराज मचकुण्ड को साक्षी मानकर पारम्परिक रीति रिजाव के मुताबिक विवाह कराए गए. शादी में बेटियों को टीवी, फ्रीज, बैड समेत सभी घरेलू सामान भी गिफ्ट किया गया.
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