कल तक बेरोजगारों के लिए आवाज उठाते थे, पेपर लीक पर माफिया और सरकारी तंत्र से लोहा लेते थे आज वही उपेन यादव बकरियां खोजने के लिए पुलिस से सिफारिश कर रहे हैं, भई इसमें उपेन की कोई गलती नहीं है, कल तक छात्रों के नेता थे आज आवाम के नेता हैं, जब से बीजेपी ज्वॉइन की है, नेताओं वाले सारे गुर उपेन ने भी अपना लिए हैं. कहते हैं चोरी छोटी हो या बड़ी, चाहे भेड़ बकरियों की ही क्यों ना. वो हर शख्स को इंसाफ मिलना चाहिए सबके साथ न्याय होना चाहिए, लिहाजा मैं भी आ गया एसपी साहब से मिलने ताकि चोरी हुई बकरियों को जल्द से जल्द बरामद किया जा सके.
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अब उपेन यादव जी भले ही विधायक नहीं बन पाए हों, लेकिन सरकार तो इनकी ही पार्टी की है, ऐसे में अगर पुलिस से सिफारिश करनी पड़े तब तो हद ही है, क्यों कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने में भले ही देर लगा दे. पेपर लीक वाले माफिया चाहे अब भी कोसों दूर हों, लेकिन ऐसा लगता है कि चोरी हो चुकी बकरियां जरूर थाने के आसपास ही घास चर रही होंगी, जिसे पुलिसवाले फट से ढूंढ़ निकालेंगे. खैर लगे रहिए नेता जी...कल तक युवाओं और बेरोजगारों के लिए लगे थे आज भेड़ बकरियों के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, देखकर अच्छा लगा आप भी पूरी तरह से नेता जी बन चुके हैं.
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