ADVERTISEMENT
ग्रेटर नोएडा की प्राइवेट यूनिवर्सिटी में BDS सेकंड ईयर की छात्रा ज्योति शर्मा ने आत्महत्या कर ली. यह घटना शुक्रवार करीब 7 बजे की बताई जा रही है. छात्रा के पास से एक सुसाइड नोट मिला है. इसमें कुछ शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. छात्रा ने सुसाइड नोट में लिखकर बताया कि उन्हें कुछ टीचर मानसिक रूप से परेशान कर रहे थे. उन्होंने प्रैक्टिकल वर्क पर सिग्नेचर नहीं किए. साथ ही उसे धमकाया भी जाता था कि वह फेल हो जाएगी.
छात्रा ने सुसाइड नोट में महेंद्र सर और शैरी मैम पर इसका जिम्मेदार बताया है, नोट में छात्रा ने लिखा, "अगर मेरी मौत हुई तो इसके लिए PCP और डेंटल मेडिकल के टीचर जिम्मेदार होंगे, महेंद्र सर और शैरी मैम मेरी मौत के लिए जिम्मेदार हैं, उन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, मुझे अपमानित किया, उनकी वजह से लंबे समय से डिप्रेशन में हूं, मैं चाहती हूं कि उन्हें भी यही सब सहना पड़े, सॉरी… मैं अब और नहीं जी सकती,'
ज्योति का शव हॉस्टल की 12वीं मंजिल पर कमरे में पंखे से लटका मिला. जब उसकी साथी कमरे पहुंची और दरवाजा अंदर से बंद दरवाजे को खुलवाया तो इस घटना के बारे में पता चला. जैसे ही साथी छात्रा ने कमरे के गेट खोला तो ज्योति पंखे से लटकी हुई मिली. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई.
मां ने क्या कहा?
छात्रा की मां का कहना है कि बेटी को मारा गया है. वह हर दिन कई बार बात करती थी, लेकिन घटना वाले दिन एक बार ही बात हुई. उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान उन पर लाठीचार्ज भी किया. हम तब तक धरने पर बैठे रहेंगे, जब तक इंसाफ नहीं मिलता और यूनिवर्सिटी सीज नहीं होती. ज्योति के पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं, और परिवार गुरुग्राम के अशोक विहार में रहता है. छात्रा की मौत के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में हंगामा हुआ. छात्रों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस और छात्रों में विवाद भी देखने को मिला.
यूनिवर्सिटी ने क्या कदम उठाए?
मामला सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दो टीचरों को सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ ही जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है. पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. छात्रा के कमरे की जांच की जा रही है.
पीआरओ डॉ. अजीत कुमार ने कहा, “हम परिवार के साथ हैं. दोषी साबित होने पर सख्त कार्रवाई होगी.”
छात्रों का विरोध और मांग
इस दुखद घटना के बाद विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ आक्रोश जताया और निष्पक्ष जांच की मांग की. छात्रों का कहना है कि कई बार प्रैक्टिकल वर्क पूरा करने के बावजूद संबंधित शिक्षकों द्वारा सिग्नेचर देने में टालमटोल की जाती थी, जिसकी वजह से वे भी दबाव महसूस करते हैं.
देखें वीडियो
ADVERTISEMENT