'न मिल रहा राशन, न हो रहा स्कूल में दाखिला', जमुई में एक ही आधार नंबर पर दो लोगों के नाम, पूरा मामला चौंकाने वाला
बिहार के जमुई में आधार कार्ड से जुड़े दो अनोखे मामले सामने आए हैं, जहां एक ही आधार नंबर पर दो अलग-अलग लोगों के नाम दर्ज हैं. इससे प्रभावित लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि प्रशासन ने इसे "अजूबा मामला" बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं.
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देशभर में हर व्यक्ति की पहचान का एक ही आधार होता है, उसका आधार नंबर. लेकिन बिहार के जमुई जिले से एक ऐसा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक ही आधार नंबर पर दो अलग-अलग लोगों के नाम दर्ज हैं. यह कोई एक मामला नहीं, बल्कि जमुई में ऐसे दो मामले सामने आए हैं, जिसने सबको चौंका दिया है.
मामला 1: राहत प्रवीण के दो पिता!
पहला मामला जमुई सदर प्रखंड से जुड़ा है. यहां राहत प्रवीण नाम की दो बच्चियों का एक ही आधार नंबर है. दोनों की जन्मतिथि भी 2 जून 2013 है. फर्क सिर्फ इतना है कि एक राहत प्रवीण के पिता का नाम जुल्फिकार अंसारी है और दूसरी के पिता का नाम आलमगीर.
जुल्फिकार अंसारी अपनी बेटी राहत प्रवीण के आधार को लेकर पिछले 6 महीनों से परेशान हैं. उन्हें इसकी जानकारी तब मिली जब उनकी बेटी का राशन किसी और ने उठा लिया.
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उन्होंने बताया कि इस समस्या के कारण उन्हें न तो राशन मिल रहा है और न ही उनकी बेटी का स्कूल में दाखिला हो पा रहा है. इस परेशानी को सुलझाने के लिए उन्होंने कई हज़ार रुपये खर्च किए हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है.
वहीं, दूसरे दावेदार आलमगीर का कहना है कि उन्हें इस समस्या से कोई परेशानी नहीं है. उनका कहना है कि उनकी बेटी का फिंगरप्रिंट सही काम कर रहा है और उन्हें सारी सुविधाएं मिल रही हैं. उन्होंने जुल्फिकार अंसारी से कहा कि जिसे परेशानी है, वह खुद ही आधार सुधरवाए.
मामला 2: भाई-बहन का एक ही आधार!
जमुई से आया दूसरा मामला और भी अजीब है. इसमें एक ही आधार नंबर दो भाई-बहनों का है. इस वजह से उन्हें भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि इस मामले की विस्तृत जानकारी अभी सामने नहीं आई है.
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जब जमुई के जिला अधिकारी (डीएम) नवीन से इस मामले पर बात की गई, तो उन्होंने इसे "अजूबा मामला" बताया. उन्होंने कहा कि उन्हें भी यह जानकारी मीडिया के माध्यम से ही मिली है. डीएम ने तुरंत इस पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधार एक सुरक्षित और पारदर्शी प्रणाली है, जिसमें हर व्यक्ति को एक अद्वितीय पहचान संख्या (यूनिक आईडी) दी जाती है, और ऐसा होना नहीं चाहिए.
सवाल कई, जवाब का इंतजार
यह देखना होगा कि प्रशासन इन अनोखे आधार मामलों को कैसे सुलझाता है. किसकी लापरवाही से यह गड़बड़ी हुई, यह भी एक बड़ा सवाल है. इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि आधार प्रणाली में कुछ ऐसी खामियां हैं, जो आम लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन रही हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जुल्फिकार अंसारी और अन्य प्रभावित लोगों को कब तक इस समस्या से निजात मिलती है.
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