रेसलिंग छोड़ने के बाद भी कुश्ती से जुड़ी संस्था NADA ने विनेश फोगाट को क्यों भेज दिया नोटिस? पूरा मामला जानिए
पहलवान से नेता बनीं विनेश फोगाट को NADA ने एंटी डोपिंग टेस्ट में फेल होने के कारण नोटिस भेजा है. नोटिस में उनसे 14 दिनों के अंदर जवाब मांगा है. अगर वो जवाब नहीं दे पाती हैं तो उनपर कार्रवाई की जा सकती है.
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Vinesh Phogat: पहलवान से नेता बनीं विनेश फोगाट इस समय हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी हुईं हैं. पेरिस ओलंपिक 2024 के फाइनल से बाहर हो जाने के बाद विनेश ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान किया था. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली. पार्टी ने उनपर दांव लगाते हुए जुलाना सीट से उम्मीदवार बनाया. इस बीच विनेश एक बड़ी मुश्किल में फंस गई हैं. चुनावी तैयारियों के बीच, 25 सितंबर को राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (NADA) ने विनेश फोगाट को एक नोटिस भेजा. नाडा ने उन्हें 14 दिनों के भीतर इस नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है. इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि क्या है NADA और उस संस्था ने विनेश फोगाट को क्यों नोटिस भेजा है.
क्या है नाडा?
राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (NADA) भारत में डोपिंग नियंत्रण के लिए जिम्मेदार सरकारी संस्था है. इसका मुख्य उद्देश्य खेलों में निष्पक्षता बनाए रखना है. नाडा इन चीजों पर नजर बनाए रखता है कि खिलाड़ी ड्रग या स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करता हो. NADA अंतरराष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (WADA) के दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करती है और एथलीट्स के बीच जागरूकता फैलाने, टेस्ट करने और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई करने का काम करती है. सभी एथलीट्स, जो नाडा के रजिस्टर्ड टेस्टिंग पूल (RTP) में शामिल होते हैं, उन्हें डोपिंग टेस्ट के लिए अपनी लोकेशन की जानकारी देना जरूरी होता है.
संन्यास के बाद भी क्यों जरूरी है डोपिंग टेस्ट?
विनेश फोगाट अब पहलवानी छोड़ चुकी हैं, फिर भी उन्हें डोपिंग टेस्ट का सामना क्यों करना पड़ रहा है? इसका कारण यह है कि नाडा के रजिस्टर्ड टेस्टिंग पूल (RTP) में जो भी एथलीट्स शामिल होते हैं, उन्हें डोपिंग टेस्ट के लिए अपनी मौजूदगी की जानकारी देना जरूरी होता है. विनेश अभी भी इस पूल का हिस्सा हैं, इसलिए उन्हें NADA को अपनी लोकेशन के बारे में सूचित करना पड़ता है. मार्च 2022 से विनेश फोगाट भी रजिस्टर्ड टेस्टिंग पूल का हिस्सा हैं और उन्हें नियमित रूप से डोप टेस्टिंग के लिए उपलब्ध रहना पड़ता है.
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"पता-ठिकाना ना बताने" का मामला
डोपिंग टेस्ट के लिए एथलीट्स को उस जगह मौजूद रहना होता है, जिसकी जानकारी उन्होंने दी होती है. यदि एथलीट टेस्ट के समय उस जगह पर मौजूद नहीं होते हैं, तो इसे "मौजूदगी की जानकारी में विफलता" माना जाता है. 9 सितंबर को विनेश सोनीपत के खरखौदा गांव स्थित अपने घर पर डोपिंग जांच के लिए मौजूद नहीं थीं.
अब आगे क्या?
नाडा ने अपने नोटिस में विनेश को 14 दिनों के अंदर जवाब देने के लिए कहा है. नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि यदि उन्होंने इस मामले को लेकर अपनी गलती को स्वीकार करना पड़ेगा या फिर उन्हें ये साबित कना होगा कि वे अपने बताए स्थान पर 60 मिनट तक मौजूद थीं. NADA ने उन्हें विचारपूर्वक जवाब देने के लिए सलाह दी है. अब देखना होगा विनेश इस नोटिस का क्या जवाब देती हैं. अगर विनेश इस नोटिसका जवाब 14 दिनों के अंदर नहीं दे पाती हैं तो उनपर NADA कड़ी कार्रवाई भी कर सकता है.
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