दिल्ली ब्लास्ट के बाद चर्चा में आई फरीदाबाद की अल फलह यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए कहां से आता है पैसा, सामने आई बड़ी जानकारी

दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट और व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल के खुलासे के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी जांच के घेरे में आ गई है. जांच एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि कैसे विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षक आतंकी संगठनों के संपर्क में आ गए.

AI- Fatah University
AI- Fatah University
social share
google news

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके और ''व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल'' के खुलासे के बाद हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी जांच एजेंसियों के निशाने पर आ गई है. फरीदाबाद के मुस्लिम बहुल धौज गांव में स्थित यह यूनिवर्सिटी लगभग 76 एकड़ में फैली हुई है.

पुलिस और जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि आखिर कैसे यह विश्वविद्यालय कुछ लोगों के लिए सुरक्षित ठिकाना (safe haven) बन गया.

यूनिवर्सिटी का इतिहास

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की शुरुआत एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में साल 1997 में हुई थी. बाद में इसे हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज एक्ट के तहत राज्य विधानसभा ने विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया.

यह भी पढ़ें...

साल 2013 में कॉलेज को NAAC (National Assessment and Accreditation Council) से ‘A’ श्रेणी की मान्यता मिली और 2014 में इसे पूर्ण रूप से यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया.

यह विश्वविद्यालय अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित है, जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी. ट्रस्ट के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी, वाइस चेयरमैन मुफ्ती अब्दुल्ला कासमी, और सेक्रेटरी मोहम्मद वाजिद हैं.

वर्तमान में प्रो. (डॉ.) मोहम्मद परवेज रजिस्ट्रार हैं जबकि डॉ. भुपिंदर कौर आनंद वाइस-चांसलर के पद पर हैं.

शिक्षा और सुविधाएं

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में तीन प्रमुख कॉलेज हैं-

1. अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी
2. ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी
3. अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग

इसके अलावा यूनिवर्सिटी से जुड़ा एक 650 बेड का अस्पताल भी है, जहां मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है.

रेड फोर्ट ब्लास्ट से कनेक्शन

सोमवार शाम दिल्ली के रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में हुए भारी विस्फोट में 10 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए. जांच में सामने आया कि कार चलाने वाला डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी जो पुलवामा का रहने वाला था अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था.

इसके कुछ घंटे बाद पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से तीन डॉक्टर अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए थे. जांच एजेंसियों ने इनके पास से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की. बताया जा रहा है कि ये लोग जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे आतंकी संगठनों के संपर्क में थे.

जांच जारी

मंगलवार को पुलिस ने पूरे दिन यूनिवर्सिटी कैंपस में सर्च ऑपरेशन चलाया और कई लोगों से पूछताछ की. जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने की कोशिश में हैं कि इतने शिक्षित लोग पाकिस्तान समर्थित हैंडलरों के इशारे पर कैसे काम कर रहे थे.

विशेषज्ञों का कहना है कि कभी यह यूनिवर्सिटी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया का बेहतर विकल्प मानी जाती थी, लेकिन अब इसके नाम का इस्तेमाल कुछ लोगों ने गलत मकसद के लिए किया.

ये भी पढ़ें: अल फलह यूनिवर्सिटी के रूम नंबर 13 से लिखी गई दिल्ली ब्लास्ट की पटकथा! ATS की पूछताछ में डॉक्टर शाहीन ने उगले कई राज!

    follow on google news