MP High Court ने 10 साल के रिलेशनशिप के बाद महिला के दर्ज कराए रेप केस को किया खारिज, बताई ये वजह
MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपनी मर्जी से 10 साल तक रिलेशनशिप में रहने वाली युवती का द्वारा लगाए गए रेप के केस को खारिज कर दिया है.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
बलात्कार और अपहरण के मामले में एक डॉक्टर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से राहत मिली है.
हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश जारी किये हैं.
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 10 साल के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है.
MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपनी मर्जी से 10 साल तक रिलेशनशिप में रहने वाली युवती का द्वारा लगाए गए रेप के केस को खारिज कर दिया है. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश जारी करते हुए कहा, "10 साल के रिश्ते में स्थापित संबंध को बलात्कार (Rape) नहीं माना जा सकता है. "कोर्ट ने साफ किया कि सहमति से बना संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है. हाईकोर्ट का ये फैसला देश भर में चर्चा का विषय बन गया है.
दरअसल, पूरा मामला मामला कटनी जिले का है. साल 2021 में टीचर ने अपने ही डॉक्टर दोस्त पर रेप केस दर्ज कराया था. टीचर ने अपनी शिकायत में कहा था, '2010 से हम हाईस्कूल से एक-दूसरे को जानते हैं. 2020 तक रिलेशन में रहे शुरूआत में डॉक्टर ने प्रपोज करते हुए शादी का वादा किया था. बाद में मना कर दिया. पिता को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने लड़के पर केस करा दिया.
कोर्ट ने केस को बताया कानून का दुरूपयोग
जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने युवती की शिकायत पर पुरुष के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को रद्द करते हुए कहा कि, "अपनी मर्जी" से 10 साल से अधिक समय से शारीरिक संबंध बना रहे थे. इसमें कहा गया कि जब युवक द्वारा शादी से इंकार किया गया तो रेप का केस दर्ज किया गया. अपने आदेश में जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा कि इस मामले से साबित होता है कि ये केस कानून का दुरूपयोग करता है. यही कारण है कि इस केस को खारिज किया जाता है.
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कब करा सकती थी महिला केस दर्ज?
याचिकाकर्ता युवती का आरोप था कि युवक ने जब शादी से इंकार कर दिया तो उसने पुलिस में युवक के खिलाफ बलात्कार की एफआईआर दर्ज करा दी. हालांकि 2 जुलाई को दिए अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने से पहले कोर्ट ने दोनों परिवार को विवाह के लिए सहमत करने का प्रयास किया था. कोर्ट ने कहा, "जब शादी का वादा करके साल 2010 पहले पहली बार उसके पार्टनर ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे. तब ही महिला रेप की शिकायत दर्ज करा सकती थी. लेकिन, महिला की तरफ से उस वक्त शिकायत दर्ज नहीं कराई गई.
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