शिवराज सिंह चौहान की सीट को लेकर बीजेपी के अंदर जमकर हुआ बवाल, केंद्र और प्रदेश संगठन को मिली ये चेतावनी

अभिषेक शर्मा

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Shivraj Singh Chauhan
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बुधनी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी का विरोध कर रहे पार्टी के कार्यकर्ता.

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शिवराज सिंह चौहान की परंपरागत सीट रही है बुधनी विधानसभा सीट.

Shivraj Singh Chauhan: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सीट रही बुधनी को लेकर बीजेपी में जमकर बवाल मच रहा है. केंद्र में मंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने ये सीट रिक्त कर दी थी. अब यहां उपचुनाव होना है. लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार का विरोध पार्टी के ही कार्यकर्ता जबरदस्त तरीके से कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के केंद्र और प्रदेश संगठन को चेतावनी दे दी है कि यदि उनकी बात नहीं मानी गई तो बीजेपी नेतृत्व को परेशानी हो सकती है.

बुधनी विधानसभा सीट, वह सीट है, जिस पर शिवराज सिंह चौहान 2005 से चुनाव लड़ रहे थे और जीते रहे थे. 2023 के विधानसभा चुनाव में भी बुधनी से शिवराज सिंह चौहान सबसे अधिक मतों के साथ विजयी हुए थे. लेकिन बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री की दौड़ से ही बाहर कर दिल्ली भेज दिया और केंद्र में कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपकर मध्यप्रदेश से दूर कर दिया.

अब बुधनी सीट खाली हो गई. ऐसे में अब यहां उपचुनाव होने हैं. इसके लिए 13 नवंबर को यहां वोट डाले जाएंगे.  23 नवंबर को रिजल्ट आएगा. बीजेपी ने यहां रमाकांत भार्गव को अपना उम्मीदवार बना दिया. बस यही से बीजेपी के अंदर बवाल मचना शुरू हो गया. स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं ने शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान को टिकट देने की मांग की थी. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने इस मांग को मंजूर नहीं किया. फिर कार्यकर्ताओं ने राजेंद्र सिंह राजपूत का नाम आगे बढ़ाया लेकिन केंद्रीय और प्रदेश संगठन ने इस मांग को भी खारिज कर दिया.

इसके बाद तो कार्यकर्ताओं के सब्र का बांध ही टूट गया. बुधनी क्षेत्र जो कभी शिवराज का गढ़ था, वहां इस समय कार्यकर्ता बीजेपी नेतृत्व के कपड़े फाड़ने में लगे हुए हैं. पार्टी का अनुशासन तार-तार हो चुका है. बीते रोज कार्यकर्ताओं की बात सुनने बुधनी उपचुनाव के सह प्रभारी पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को बीजेपी ने भेजा तो कार्यकर्ताओं ने उनको इतनी खरी-खोटी सुनाई कि उन्हें अपना भाषण छोड़कर वापस जाना पड़ा.

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बुधनी को लेकर बीजेपी कैसे फंसी, इन बिंदुओं में समझें

- बुधनी सीट पर डेढ़ दशक से शिवराज सिंह चौहान ही चुनाव लड़ रहे थे और जीत रहे थे. उनके दिल्ली जाने के बाद यहां के कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि उनके बेटे कार्तिकेय चौहान को पार्टी टिकट देगी. लेकिन दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व ने इस मांग को परिवारवाद के नाम पर सिरे से खारिज कर दिया.

- फिर नाम सामने आया राजेंद्र सिंह राजपूत का. अब ये राजेंद्र सिंह राजपूत कौन है. ये जानने के लिए आपको बता दें कि ये वही राजेंद्र सिंह राजपूत हैं जो 2003 में बुधनी सीट से चुनाव लड़कर जीते और विधायक बने थे. लेकिन पार्टी ने जब शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली से बुलाकर मध्यप्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री बनाया था तो उनके लिए राजेंद्र सिंह राजपूत ने ही बुधनी सीट खाली करके दी थी और उपचुनाव के बाद शिवराज सिंह चौहान यहां से विधायक चुने गए थे. तब से शिवराज सिंह चौहान ही इस सीट पर लगातार चुनाव जीतते रहे.

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- ऐसे में जब शिवराज के बेटे को टिकट नहीं मिला तो शिवराज सिंह चौहान ने डेढ़ दशक पहले किए गए राजेंद्र सिंह राजपूत के अहसान को चुकाने की कोशिश की लेकिन पार्टी ने इसकी भी इजाजत नहीं दी.

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- इस वजह से यहां बीजेपी कार्यकर्ता भड़क गए.

रमाकांत भार्गव का किस्सा भी है दिलचस्प

-रमाकांत भार्गव विदिशा सीट से सांसद थे. 2024 के लोकसभा चुनाव आए तो पार्टी ने रमाकांत भार्गव को टिकट न देते हुए विदिशा सीट पर शिवराज सिंह चौहान को टिकट दिया और लोकसभा चुनाव में उतार दिया. शिवराज चुनाव जीते और केंद्र में मंत्री बने.

- रमाकांत भार्गव ने जो त्याग किया, उसके बाद पार्टी ने उस त्याग की कीमत बुधनी सीट से उनको टिकट देकर चुकाई. लेकिन यहां मामला बिगड़ गया और कार्यकर्ताओं ने रमाकांत भार्गव को टिकट देने का विरोध कर दिया. अब बीजेपी के प्रदेश संगठन को समझ नहीं आ रहा है कि रमाकांत भार्गव के लिए शिवराज सिंह चौहान के गढ़ के कार्यकर्ताओं को कैसे मनाएं.

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