क्या कांग्रेस फिर दोहराएगी 2018 वाला इतिहास, चंबल-महाकौशल में बरकरार रखेगी बढ़त

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MP Tak Special: Congress फिर दोहराएगी 2018 वाला इतिहास, चंबल, महाकौशल में बरकरार रखेगी बढ़त ?| MPTak
मध्य प्रदेश गुजरात के अलावा यह एकमात्र राज्य है जहां भाजपा 18 साल से सत्ता में है. लेकिन राज्य में बीजेपी की जड़ें इससे भी ज्यादा गहरी हैं. 2003 से भाजपा लगातार मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज है. (दिसंबर 2018 और मार्च 2020 के बीच की अवधि को छोड़कर). मध्य प्रदेश पर करीब 18 साल से शासन किया है. क्या पार्टी एक बार फिर अपना यह गढ़ बरकरार रखेगी? इंडिया टुडे ग्रुप ने अब तक के चुनावी आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया है. जानें इस रिपोर्ट में…
2003 से भाजपा का गढ़ है MP
2018 के विधानसभा चुनावों में, जब कांग्रेस ने भाजपा से पांच सीटें अधिक जीतीं, तब भी भाजपा को अधिक वोट मिले थे. दरअसल, 2018 को छोड़कर पिछले 18 साल में सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी का राज्य में दबदबा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी के दौर में बीजेपी एमपी में और भी ज्यादा प्रभावी हो गई है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 192 और 208 पर नेतृत्व किया. दोनों में पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले. 2019 में, भाजपा को 58 प्रतिशत वोट मिले – जो मध्य प्रदेश में किसी भी पार्टी के लिए किसी भी चुनाव में सबसे अधिक है.
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7 इलाकों में बंटी सीटें
मध्य प्रदेश को सात अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: बुंदेलखण्ड, चंबल, मध्य भारत, महाकौशल, मालवा उत्तर, और मालवा आदिवासी-निमाड़. अब तक के चुनावी आंकड़ों को देखा जाए तो इनमें से, मध्य भारत, मालवा उत्तर और मालवा आदिवासी-निमाड़ में भाजपा एक मजबूत खिलाड़ी रही है, और राज्य के बुंदेलखंड, चंबल और विंध्य क्षेत्रों में कमजोर रही है.
कहां मजबूत कहां कमजोर भाजपा?
2018 में, जब कांग्रेस और भाजपा बहुत कम अंतर के साथ लगभग 41 प्रतिशत वोटों के साथ बहुत करीबी मुकाबले में थे, तो यह चंबल, महाकौशल, मालवा उत्तर और मध्य भारत में था, जहां कांग्रेस को पिछले चुनाव की तुलना में छह प्रतिशत अधिक वोट मिले .चंबल में कांग्रेस को सात फीसदी वोट शेयर का फायदा हुआ. इससे पार्टी की सीट हिस्सेदारी में वृद्धि हुई और 1998 के बाद पहली बार उसने 100 से अधिक विधानसभा सीटें जीतीं. लेकिन चंबल सिंधिया परिवार का गढ़ है, जिनके वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया मार्च 2020 में भाजपा में शामिल हो गए. अब देखना होगा कि चंबल में बीजेपी को फायदा मिलता है या नहीं. देखिए पूरी रिपोर्ट…