विधानसभा चुनाव 2023ः अगले महीने पांच राज्यों में वोट डाले जाएंगे. इनमें हिंदी पट्टी के तीन राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश भी शामिल हैं. इन तीनों राज्यों में कांग्रेस औऱ बीजेपी सीधा भिड़ेंगी. इन विधानसभा चुनावों को 2024 के लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल समझा जा रहा है. हर कोई यह समझना चाहता है कि आखिर इन राज्यों में कौन बाजी मार रहा है. CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार ने दैनिक भास्कर में लिखे अपने लेख में इन तीनों राज्यों की सियासी स्थिति का विश्लेषण किया है. आइए समझते हैं.
राजस्थान
राजस्थान में 2018 के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोट शेयर में मामूली अंतर था. कांग्रेस 39.3 वोट शेयर के साथ 100 सीटें तो बीजेपी 38.8 फीसदी वोट शेयर के साथ 73 सीटें जीती थी. राज्य में दोनों ही पार्टियों को संकट से जूझना पड़ रहा है. कांग्रेस में जहां मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए गहलोत और पायलट के बीच दूरियां साफ नजर आईं तो वहीं बीजेपी में भी वसुंधरा औऱ केंद्रीय नेतृत्व के बीच भी मतभेद समय-समय पर उभर कर सामने आए. प्रोफेसर संजय कुमार मानते हैं कि 1993 से अबतक राजस्थान में कोई सरकार रिपीट नहीं हुई है, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की राह आसान नजर नहीं आ रही. उनके मुताबिक कांग्रेस ने बीते एक साल में अपने मतभेदों को कम किया है.
मध्य प्रदेश
1990 से देखें तो बीजेपी मध्यप्रदेश में अभी तक चार चुनाव जीती है. 1990, 2003, 2008 और 2013. वहीं कांग्रेस ने लगातार 1993 और 1998 में सरकार बनाई थी. हालांकि, 2018 के चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण समर्थन नहीं मिला था. दोनों पार्टियों के बीच वोट शेयर का अंतर 1 फीसदी से भी कम था. 1990 से 2018 के तक हुए सात चुनावों में से 5 चुनाव ऐसे रहे जहां वोट शेयर का अंतर 5 फीसदी से भी कम रहा. सिर्फ 2003 और 2013 के चुनावों में यह अंतर बढ़ा था. संजय कुमार लिखते हैं कि शिवराज के खिलाफ एंटी-इंकंबेंसी है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस के प्रति बहुत आकर्षण है. वह मानते हैं कि एमपी में अभी तस्वीर साफ नहीं है.
छत्तीसगढ़
राज्य में हुए 2003, 2008 और 2013 के चुनावों को लगातार बीजेपी ने जीता. हालांकि, वोट शेयर में महज 2-3 फीसदी का ही अंतर रहा. 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की. राज्य की 90 सीटों में से कांग्रेस को 68 पर जीत मिली. बीजेपी केवल 15 सीटों पर सिमट कर रह गई. संजय सिंह राज्य में कांग्रेस की स्थिति मजबूत मान रहे हैं. उनका तर्क है कि कांग्रेस की जीतीं 68 सीटों में से 38 पर 20,000 से ज्यादा वोट मार्जिन का अंतर था. वहीं बीजेपी केवल 1 सीट पर ही 20,000 से ज्यादा वोट मार्जिन के साथ जीत हासिल कर पाई थी. वह मानते हैं कि यहां चुनाव बीजेपी के लिए मुश्किल है