बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद पहली बार सियासत में फिर सक्रिय दिखी हैं. माया ने सोमवार को मध्य प्रदेश चुनावों में बीएसपी के चुनावी अभियान को धार दी. इस दौरान मायावती ने कांग्रेस को उसके सबसे बड़े चुनावी वादे को लेकर ही घेर लिया. मायावती ने जातिगत जनगणना कराने के कांग्रेस के वादों पर लोगों को पिछली सरकारों के काम याद दिला दिए. मायावती ने अपने चुनावी संबोधन में भरसक यही कोशिश की कि वह कांग्रेस को पिछड़ा-दलित विरोधी ठहरा जाएं. सवाल यह है कि क्या माया का कांग्रेस को लेकर यह टफ स्टैंड सिर्फ राज्यों के चुनावों तक है? या क्या मायावती ने एक तरह से 2024 को लेकर अपनी सियासी पोजिशनिंग अब साफ कर ली है?
बता दें कि बसपा मध्य प्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. प्रदेश की 230 सीटों में से बसपा ने 183 और GGP ने 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
मायावती ने कांग्रेस पर चुन-चुन किए वार
एमपी के मुंगावली में मायावती ने कांग्रेस के चुनावी वादों को टारगेट किया. उसकी पीछे की सियासत को बताया. उन्होंने कहा कि, ‘कांग्रेस केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) वोट पाने के लिए जातिगत जनगणना का वादा कर रही है’. उसका असल मकसद कुछ और ही है. उन्होंने याद दिलाया कि, कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए बनी ‘काका कालेलकर आयोग’ की सिफारिशों को लागू नहीं किया था. लेकिन आज वो जातिगत जनगणना की मांग कर रहे है, जबकि जब वो सरकार में थी तब इसपर कोई ध्यान नहीं दिया.’

उन्होंने OBC को सचेत करते हुए कांग्रेस के भ्रम में न आने की अपील की. मायावती ने कहा कि पिछड़े वर्ग के लोगों को यह याद रखना चाहिए कि उन्हें आरक्षण कांग्रेस सरकार में नहीं बल्कि वीपी सिंह की सरकार में मिला था. मायावती ने कांग्रेस पर आरोप लगाए कि उन्होंने डॉ. अंबेडकर जैसी शख्सियत को भारत रत्न नहीं दिया. कांशीराम का देहांत होने पर एक दिन का भी राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया.
क्या मायावती ने INDIA गठबंधन को साफ कर दिया अपना रुख?
मायावती का यह हमला सिर्फ कांग्रेस के सियासी हितों के लिए नुकसानदायक नहीं है. असल में विपक्ष के इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) की कई पार्टियां जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं. ऐसे में दलित राजनीति के मुख्य नामों में से एक मायावती अगर कांग्रेस के इस वादे को आइना दिखा रही हैं, तो ये INDIA गठबंधन के लिए चिंता की बात है.
ऐसा इसलिए भी क्योंकि अक्सर इस बात की चर्चा होती है कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद मायावती भी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा हो सकती हैं. वैसे अबतक हर मौके पर मायावती ने ऐसी किसी चुनावी संभावना को दरकिनार ही किया हैं.