विपक्ष की आवाज दबाने का नतीजा झेल रहा बांग्लादेश, सरकार को पड़ोसी देश से लेनी चाहिए सीख: राऊत 

अभिषेक

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Sanjay Raut On Bangladesh: पिछले 15 सालों से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को बीते दिन अपने दही देश से भागना पड़ा. प्रदर्शनकारी उनके घर में घुस गए और तोड़-फोड़ करने लगे. आनन-फानन में उन्होंने ढाका छोड़ दिया और भारत आ गई. सोमवार को अपने चरम पर पहुंच गया. ढाका की सड़कें, जो पिछले तीन हफ्तों से हिंसा और मौत से दहल रही थीं, उनके देश से बाहर निकलने के बाद जश्न में डूब गईं. आपको बता दें कि, बांग्लादेश तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है वहीं एक तरफ बंगाल की खाड़ी है. पड़ोस देश की मौजूदा स्थिति को लेकर भारत में भी तरह-तरह की सियासी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. बांग्लादेश में हुए इस तख्तापलट के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने मौजूदा मोदी सरकार को नसीहत दिया है. आइए आपको बताते हैं. 

शेख हसीना ने लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही चलाई: संजय राउत 

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत से जब पत्रकारों ने संजय राउत से हसीना और बांग्लादेश में उपजे हालातों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार ने भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे हैं. इंदिरा गांधी के कारण ही पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लादेश का निर्माण हुआ. शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई. लेकिन शेख हसीना के बारे में इतना तो कहा ही जा सकता है कि उन्होंने लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही चलाई. लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही चलाने और देश की आजादी को खतरे में डालने वालों को देश की जनता माफ नहीं करती. बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उससे हमारे देश के नेताओं को सबक लेनी चाहिए.'

संजय राउत ने आगे कहा, 'बांग्लादेश में भारत जैसी स्थिति पैदा हो गई. वहां विपक्ष की आवाज दबा दी गई, चुनाव में घोटाले हुए. विरोधियों को जेल में डाल दिया गया. कई लोग मारे गये. संसद में अवांछित कानून पारित किये गये. लोग महंगाई से जूझ रहे थे. इस प्रकार, शेख हसीना प्रधामंत्री के रूप में विफल रहीं. उन्होंने लोकतंत्रिक सिद्धांतों की आड़ में देश को तानाशाही तरीके से चलाया. भारत के शासकों को भी इसके प्रभाव के बारे में सोचना चाहिए.' 

आज हो सकता है बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन 

बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने बीते दिन कहा था कि, 'पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग को छोड़कर, अन्य राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के बाद जल्द ही एक नई अंतरिम सरकार बनाई जाएगी. उन्होंने सड़क पर उतरे लोगों से हिंसक विरोध प्रदर्शनों को खत्म करने और बांग्लादेश में शांति स्थापित करने में सेना का सहयोग करने की अपील की. बता दें कि जुलाई में शुरू हुए इन प्रदर्शनों में 300 से अधिक लोग मारे गए हैं और 3000 से अधिक घायल हुए हैं. 

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बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार स्टूडेंट प्रोटेस्ट का नेतृत्व कर रहे छात्र नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं. बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन छात्रों ने शुरुआत में नौकरी में कोटा का विरोध किया और बाद में हसीना के इस्तीफे की मांग की, वे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर जोर दे रहे हैं. हसीना के शासन के अंत पर प्रदर्शनकारियों ने खुशी जताई और ढाका में बांग्लादेशी प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास 'गणभवन' की छत से राष्ट्रीय ध्वज लहराए.

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