महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर खेला देवेंद्र फडणवीस पर दांव, विपक्ष भी है तैयार, समझिए 

रूपक प्रियदर्शी

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Maharashtra Politics: हाल के दिनों में बीजेपी में ये उड़ते-उड़ाती खबर ये चली कि महाराष्ट्र में चुनाव से पहले देवेंद्र फडणवीस मुंबई से दिल्ली आ जाएंगे और बीजेपी अध्यक्ष का चार्ज लेंगे. इस खबर एक बाद फडणवीस को सामने से आकर बोलना पड़ा कि ये सब कोरी गपबाजी हो रही है. इन सब के बीच बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस के कंधों पर विधानसभा चुनाव की सारी बड़ी जिम्मेदारी डाल दी है. चुनाव में देवेंद्र फडणवीस वन मैन आर्मी तो नहीं होंगे लेकिन जिम्मेदारियां वन मैन आर्मी की तरह संभालनी होगी. इसका एक मतलब ये भी है कि बीजेपी हारी तो जिम्मेदारी फडणवीस की. जीती तो जैसा कि हमेशा से होता है क्रेडिट पार्टी को जाएगा.

NDA के कोर ग्रुप की बैठक में हुआ फैसला 

मुंबई में हुई बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक में बड़ा फैसला हुआ है. बीजेपी की ओर से NDA के अंदर सीट शेयरिंग और बीजेपी के टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी फडणवीस को सौंपी गई है. दिल्ली से महाराष्ट्र बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव इसी जिम्मेदारी के बंटवारे के लिए मुंबई पहुंचे थे.  बैठक में पीयूष गोयल और विनोद तावड़े भी थे. नाम देवेंद्र फडणवीस आया. काम भी उनको ही मिला. हालांकि देवेंद्र फडणवीस के लिए ऐसी जिम्मेदारी कोई नई बात नहीं है. ऐसा माना जाता है कि महाराष्ट्र बीजेपी में चलती फडणवीस की ही है. बाकी नेता और कार्यकर्ता उनके साथ चलते हैं. फडणवीस जरूरी भी हैं, मजबूरी भी क्योंकि उन जैसा कोई और तैयार नहीं. 

लोकसभा चुनाव में लगा था झटका 

लोकसभा चुनाव के बाद से महाराष्ट्र बीजेपी में सदमे का समय चल रहा है. 2019 के चुनाव में NDA ने 48 में से 40 से ज्यादा सीटें जीती थी. 2024 का चुनाव ऐसा पलटा कि 30 से ज्यादा सीटें एमवीए यानी इंडिया गठबंधन की हो गई. सबसे कम आंकी जा रही कांग्रेस महाराष्ट्र में सबसे ताकतवर पार्टी बन गई. फडणवीस पर पहला प्रेशर ये है कि  लोकसभा चुनाव का रिजल्ट विधानसभा में रिपीट नहीं होना चाहिए. दूसरा ये है कि लोकसभा चुनाव वाले रिजल्ट को एनडीए के पक्ष में पलटा जाए. पूरी जिम्मेदारी देवेंद्र फडणवीस के कंधों पर आ गई है. कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव की भी सारी प्लानिंग फडणवीस की थी जिसमें उन्होंने बुरी तरह मात खाई थी.  

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शिवसेना के सहारे महाराष्ट्र में बीजेपी ने बनाई मजबूत स्थिति 

बाला साहेब ठाकरे के जमाने से महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना का छोटा भाई बनकर रही. बीजेपी के लिए बहुमत से सरकार तो दूर की बात थी, वो शिवसेना से भी कभी आगे नहीं निकल पाई थी. शिवसेना के साए में लड़ते-लड़ते बीजेपी ने अपने दिन बदले. शिवसेना से आगे निकली बीजेपी. इसका क्रेडिट देवेंद्र फडणवीस की अग्रेसिव, स्ट्रैटजिक थिंकिंग को गया. 2014 में बीजेपी ने शिवसेना से लगभग दोगुनी सीट जीती. इनाम में फडणवीस को सीएम की कुर्सी मिली. 2019 आते-आते  उद्धव ठाकरे बीजेपी की ग्रोथ से चौंकन्ने हो गए थे. अलग-अलग बहाना बनाकर चुनाव बाद बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया. 

शिवसेना-बीजेपी के अलगाव से पार्टी को हुआ बड़ा नुकसान 

उद्धव ठाकरे के खेल से भारी नुकसान बीजेपी को हुआ. फायदे में कांग्रेस-एनसीपी रही. तीनों ने मिलकर सरकार बना ली.  हालांकि देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के धोखे का बदला पहले शिवसेना तोड़कर लिया. फिर शरद पवार के परिवार में दरार डालकर. कैलकुलेशन था कि लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा लेकिन हुआ उल्टा.  शिंदे, अजित पवार के साथ बीजेपी घाटे में रही और मोटा फायदा कांग्रेस-उद्धव-शरद पवार ले गए.

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महाराष्ट्र में चुनाव को लेकर बड़ा सवाल यही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद 2024 का विधानसभा चुनाव  से पलटेगा या नहीं. लोकसभा चुनाव में एक्जिट पोल, ओपिनियन पोल फेल हुए लेकिन महाराष्ट्र को लेकर ज्यादातर अनुमान सही दिशा थे. NDA को भारी झटके का अनुमान था, हुआ भी वही. विधानसभा चुनाव के बेहद शुरुआती रुझानों में कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी, एनसीपी का चांस NDA से बेहतर माना जा रहा है. हालांकि दोनों गठबंधनों में अभी तक न तो सीट शेयरिंग फाइनल हुआ है, न टिकट बंटने शुरू हुए हैं. सब फाइनल होने के बाद पिक्चर क्लियर होगी कि मुंबई का किंग कौन?

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