'लाड़ली बहना' से 'प्यारी बहना' योजना तक, आखिर पार्टियां महिला वोटर्स को क्यों मान रहीं ट्रंप कार्ड?

अभिषेक

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Lok Sabha Election: देश में चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां आधी आबादी यानी महिलाओं को लुभाने में जुट गई है.पहले दिल्ली में सीएम अरविन्द केजरीवाल ने राज्य में महिलाओं को डायरेक्ट कैश देने की योजना का ऐलान किया फिर हिमाचल में भी कुछ ऐसी ही घोषणा हुई. इससे पहले भी पश्चिम बंगाल में लक्ष्मी भंडार योजना और मध्य प्रदेश में लाड़ली बहना योजना लागू हो चुकी है. अब प्रमुख सवाल ये उठ रहा है कि, आखिर महिलाओं पर सियासी दल इतने मेहरबान क्यों है? आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं महिलाओं को कैश ट्रांसफर करने की योजनाओं के साथ आखिर क्या है इसके पीछे का सियासी गणित. 

ममता ने बंगाल से की थी शुरुआत 

साल 2021 में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस(TMC) ने कैश ट्रांसफर स्कीम की घोषणा की थी. उस चुनाव में TMC ने राज्य की महिलाओं से ये वादा किया था कि, चुनाव जीतने के बाद हर परिवार की महिला मुख्य को 500 और 1000 रुपए महीने दिए जायेगें. सरकार बनाते ही ममता ने लक्ष्मी भंडार योजना लागू करते हुए अपना वादा पूरा भी किया. इस योजना में सामान्य वर्ग की महिलाओं को 500 रुपए तो वहीं एससी/एसटी वर्ग की महिलाओं को 1000 रुपए महीना दिया जाता है. यही से देश में महिलाओं के लिए डायरेक्ट कैश बेनिफिट की शुरुआत हुई. ममता के इस मास्टरस्ट्रोक को देश के कई अन्य राज्यों ने भी अपनाया और इसी के दम पर चुनावों में सफलता भी हासिल की. 

पंजाब में AAP ने की थी ऐसी घोषणा 

2022 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी राज्य की महिलाओं से एक वादा किया था. वादा यह था कि, सत्ता में आने के बाद पार्टी 18 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं और युवतियों को वक हजार रुपए महीना देगी. इस चुनाव में AAP की जबरदस्त जीत हुई. पार्टी ने प्रदेश की 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों पर जीत का पताका फहराया. हालांकि पंजाब में AAP की सरकार बने हुए अब दो साल होने को है लेकिन यह योजना लागू नहीं हो पाई है. 

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पंजाब में मिली इस जीत का स्वाद आप सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल को भी भा गया. यही वजह है कि, इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव और अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने 'महिला सम्मान योजना' का ऐलान कर दिया है. इस योजना के तहत 18 साल से अधिक उम्र की दिल्ली की हर महिला को  एक हजार रुपए महीना दिया जाएगा. 

मध्य प्रदेश में 'लाडली बहनों' ने बीजेपी की कराई सत्ता में वापसी  

ममता बनर्जी के महिलाओं को कैश ट्रांसफर स्कीम का ही अनुसरण कर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की बीजेपी सरकार ने लाडली बहना योजना शुरू की. इस योजना में सरकार ने प्रदेश की 21 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के खाते में 1000 रुपए प्रति महीना देने का प्रावधान था. खास बात ये है कि, शिवराज सरकार ने यह योजना चुनावी साल में शुरू की. इस योजना के तहत पहली बार 10 जून 2023 को पैसे ट्रांसफर किया गया. फिर क्या था नवंबर के महीने में  हुए राज्य विधानसभा चुनाव में शिवराज की लाड़ली बहनों ने उन्हें रिटर्न गिफ्ट देते हुए बंपर बहुमत से सत्ता में वापसी कराई. हालांकि शिवराज सिंह चौहान सीएम नहीं बने लेकिन इस चुनाव में जीत का पूरा श्रेय महिलाओं को ही दिया गया और लाड़ली बहना योजना को गेमचेंजर माना गया. 

ऐसे ही बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं को 12 हजार रुपए सलीना देने का वादा किया. प्रदेश में सत्तारूढ कांग्रेस की अप्रत्याशित हार हुई और बीजेपी को सत्ता मिल गई.

हिमाचल में कांग्रेस की सरकार ने लाई 'प्यारी बहना योजना'

हाल के दिनों में हिमाचल की कांग्रेस सरकार हिचकोले खाते नजर आई है. जैसे-तैसे पार्टी सरकार बचाने में सफल रही लेकिन सरकार पर खतरा बरकरार है. इसी बीच सुखविंदर सिंह सु्क्खू की सरकार ने महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने के अपने चुनावी वादे के मद्देनजर 'इंदिरा गांधी प्यारी बहना योजना' का ऐलान कर दिया है. इस योजना में 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं और युवतियों को हर महीने 1500 रुपए दिए जाएंगे. इससे पहले सु्क्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने चुनावी वादे पूरा न करने से नाराज होकर राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी और कांग्रेस सरकार के भविष्य पर खतरा बताया था. 

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सियासी दलों के महिलाओं पर फोकस की आखिर वजह क्या है?

देश में हुए 2014 के आम चुनाव में वोटर टर्नआउट करीब 55 करोड़ रहा था जिसमें 26 करोड़ महिलाएं थीं, वहीं 2019 के चुनाव में कुल 62 करोड़ वोट पड़े थे जिसमें करीब 30 करोड़ महिलाएं थीं. यानी देश में पड़ने वाले वोटों में करीब आधी संख्या महिलाओं की है. बीजेपी ने पिछले चुनाव में केवल 37 फीसदी वोट पाकर सत्ता में जबरदस्त तरीके से वापसी की थी. यही वजह है कि सभी दल महिलाओं के वोटों को अपने पाले में करने के लिए प्रयासरत है. 

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दिल्ली बेस्ड थिंकटैंक CSDS-लोकनीति और ऐक्सिस माय इंडिया का सर्वे के मुताबिक,  2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार की गैस सिलेंडर देने की उज्ज्वला योजना का फायदा बीजेपी को मिला था. गरीबों के लिए मुफ्त राशन स्कीम भी महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय है जिसका फायदा बीजेपी को चुनावों में मिला है. साल 2020 के बिहार और 2021 के असम विधानसभा चुनावों में भी महिलाओं के वोट का ज्यादा हिस्सा महिला केंद्रित योजनाओं की वजह से बीजेपी को मिला था. सर्वे के मुताबिक 2022 के UP विधानसभा चुनाव में बीजेपी को समाजवादी पार्टी की तुलना में 13 फीसदी अधिक महिला वोट मिले थे. 

यही वजह है कि, बीजेपी महिला आरक्षण बिल, उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन और जनधन खाते जैसी योजनाओं के सहारे अपने साइलेंट वोट बैंक महिलाओं के बीच अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी है. वहीं विपक्षी पार्टियां डायरेक्ट कैश बेनिफिट के साथ ही सस्ते गैस सिलेंडर देने पर जोर दे रही है जो सीधे तौर पर महिलाओं को प्रभावित करते है, जिससे वो महिला वोट बैंक में सेंधमारी कर सके.  वैसे तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने 'न्याय योजना' के तहत देश के अत्यंत गरीब परिवारों को 6000 रुपए महीना देने की घोषणा की थी लेकिन तब यह दाव नहीं चल पाया था. अब देखना ये होगा कि, महिलाओं के लिए कैश बेनिफिट के दांव का उनपर क्या असर पड़ता है. 

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