बंगाल में सिर्फ 5 फीसदी वोट से बदल जाएगा 42 सीटों का पूरा गणित! TMC, BJP में कौन भारी? समझिए

अभिषेक

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West Bengal Election: देश में चल रहे लोकसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प लड़ाई पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रही है. इसके पीछे की वजह तृणमूल कांग्रेस(TMC) और बीजेपी के आमने-सामने की टक्कर है. हाल के वर्षों में यहां बीजेपी ने अच्छा खासा प्रभाव जमा लिया है यही जिसका नतीजा ये हुआ है कि, कांग्रेस लड़ाई से ही बाहर हो गई है. इसके साथ ही बीजेपी बंगाल में अपने प्रदर्शन को और बेहतर करने में लगातार जुटी हुई है. पार्टी देश के उत्तरी और पश्चिमी भाग से होने वाले अपने नुकसान की भरपाई बंगाल से करने के लिए प्रयासरत है. हालांकि बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC सुप्रीमो भी कोई कसर छोड़ने के मूड में दिख नहीं रही हैं. चुनावी जीत के लिए उन्होंने पूरा दमखम लगा रखा है. चुनावों पर नजर रखने वाले अमिताभ तिवारी ने बंगाल चुनाव को लेकर विश्लेषण किया है. आइए आपको बताते हैं क्या है उनका ओपिनियन. 

अपनी जमीन मजबूत करने की फिराक में है बीजेपी 

बंगाल में वाम-कांग्रेस गठबंधन अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है. इसको अपनी खोई हुई कुछ जमीन वापस पाने की उम्मीद है. इस बीच अधीर रंजन चौधरी और ममता बनर्जी के बीच तीखी नोकझोंक प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. वहीं INDIA  अलायंस के साथ ममता की 'कभी हां कभी ना' वाली स्थिति ने भी वोटरों को भ्रमित ही किया है. इन सब के बीच बीजेपी अपने को मजबूत करने में जुटी हुई है. क्योंकि साल 2026 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने है. अगर 2024 में बीजेपी TMC को पछाड़ देती है तो 2026 के चुनाव में पार्टी बढ़त के साथ उतरेगी. 

वैसे पिछले 10 सालों में बीजेपी राज्य में नंबर दो पार्टी के रूप में उभरी है, जिससे यह चुनाव TMC और बीजेपी बीच द्विध्रुवीय लड़ाई बन गया है. बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 25 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है और बाकी 17 सीटों पर छठे और सातवें चरण में मतदान होना है. 

पिछले चुनाव के आंकड़ों से समझिए बंगाल का गणित 

2009 के लोकसभा चुनाव  में ममता की पार्टी TMC ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और 41 फीसदी वोट शेयर के साथ 25 सीटें जीती. वाम मोर्चे को 43 फीसदी वोट शेयर के साथ 15 सीटें मिली और बीजेपी को छह फीसदी वोट शेयर के साथ सिर्फ 1 सीट मिली. 

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2014 में देश के कांग्रेस विरोधी और मोदी लहर थी. इस चुनाव में TMC ने अकेले चुनाव लड़ा और 39 फीसदी वोट शेयर के साथ 34 सीटें जीती. वाम मोर्चे को 30 फीसदी वोट मिले और उसने दो सीटें जीती. कांग्रेस और बीजेपी ने 10 और 17 फीसदी वोटों के साथ चार सीटें और बीजेपी ने दो सीटें जीती. 

2019 के चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 18 सीटें जीत ली. इस चुनाव में TMC ने 22, कांग्रेस ने केवल दो और वाम मोर्चा ने शून्य सीटें जीती. इस चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी के किले में बड़ी सेंधमारी कर दी. वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को 40 फीसदी और TMC को 43 फीसदी वोट मिला. 2019 के चुनाव में वाम मोर्चा अपने चुनावी इतिहास में पहली बार 10 फीसदी से भी कम वोटों पर आ गया. 

2019 में बीजेपी को कैसे मिली बड़ी जीत?

बीजेपी ने 2019 में वाम मोर्चे को साइडलाइन करते हुए 23 फीसदी वोट शेयर हासिल किया और TMC के लिए प्रमुख चुनौती बनकर उभरी. प्रदेश में बीजेपी के प्रवेश के साथ ही भारी ध्रुवीकरण हुआ. TMC ने हिंदुओं से जहां करीब आठ फीसदी तो वहीं वाम मोर्चा/कांग्रेस/अन्य ने 28 फीसदी समर्थन खो दिया. ये सभी वोट बीजेपी को ट्रांसफर हुए जिसकी बदौलत राज्य में बीजेपी की सीटों में बढ़ोतरी हुई. वहीं दूसरी तरफ जहां को वाम मोर्चा/कांग्रेस/अन्य की कीमत पर 30 फीसदी मुस्लिम समर्थन प्राप्त हुआ. 

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बंगाल चुनाव के ये है प्रमुख मुद्दे 

पश्चिम बंगाल में महिला मतदाता ममता बनर्जी के समर्थन का आधार रही है. इस बार के चुनाव में संदेशखाली को मुद्दा बनाकर बीजेपी ने ममता बनर्जी के इस कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की. हालांकि इसका इतना प्रभाव पड़ता दिख नहीं रहा है. नागरिकता संशोधन अधिनियम(CAA) ने राज्य में ध्रुवीकरण कर दिया है जिससे अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव TMC की तरफ और मजबूत तरीके से बढ़ा है. बंगाल में भी किसी भी अन्य राज्य की तरह महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बड़े मुद्दे बने हुए है. 

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सिनेरियो विश्लेषण

1- अगर बीजेपी का 5 फीसदी वोट छिटक कर TMC को जाता है, तो TMC 34 सीटें (+12) तक जीत सकती है, जिससे बीजेपी सिर्फ सात सीटों (-11) पर और कांग्रेस सिर्फ एक (-1) पर सिमट जाएगी. 


2- अगर TMC का 5 फीसदी वोट टूटकर बीजेपी को चला जाता है, तो बीजेपी 31 सीटें (+13) तक जीत सकती है और TMC को सिर्फ 10 सीटों (-12) और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट ( -1) मिलने का अनुमान है. 

कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में TMC और बीजेपी आमने-सामने है और दोनों के बीच कांटे का मुकाबला देखा जा रहा है. यही वजह है कि, चुनाव के नतीजा किसके तरफ रहता है ये देखना दिलचस्प होगा. 

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