साप्ताहिक चर्चा: 102 सीटों पर वोटिंग के बाद योगेंद्र यादव को क्यों याद आया 2004 का नतीजा?
देश में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और महंगाई का है. आज आप कही भी किसी भी युवा से पूछेंगे तो उसका जवाब बेरोजगारी का ही आता है.
ADVERTISEMENT
Weekly Show: देश में लोकसभा का चुनाव हो रहा है. सात चरणों में होने वाला यह चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून तक चलेगा. मतगणना 4 जून को होगी. 543 सीटों वाले लोकसभा में से 102 सीटों पर पहले चरण में मतदान भी हो चुके है. इन्हीं सब के बीच देश की चुनावी स्थिति को समझने के लिए न्यूज TAK के खास शो 'साप्ताहिक सभा' में राजनैतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव और 'TAK' चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने विस्तार से बात की हैं. आइए आपको बताते हैं इस बातचीत के कुछ प्रमुख अंश.
प्री पोल सर्वे में बीजेपी-NDA को बढ़त
CSDS के सर्वे में बीजेपी के NDA गठबंधन को 12 फीसदी वोटों की बड़ी बढ़त दिखाई गई है. आपका इस पर क्या कहना है?
इस सवाल के जवाब में योगेंद्र यादव कहते हैं कि, हमें ये जानना जरूरी है कि, CSDS के सर्वे का मुख्य उद्देश्य चुनावी भविष्यवाणी करना नहीं है. इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य देश के मुद्दों को पता लगाना था. कौन से मुद्दे जनता को प्रभावित करते है और जनता किन मुद्दों पर वोट करने की बात कह रही है. दिलचस्प बात ये है कि, मुद्दों के मामले में जो आंकड़े सर्वे में आए है वही आंकड़े देशभर में घूमने पर भी पता चलते है.
ADVERTISEMENT
यह भी पढ़ें...
देश में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और महंगाई का है. आज आप कही भी किसी भी युवा से पूछेंगे तो उसका जवाब बेरोजगारी का ही आता है. योगेंद्र यादव कहते हैं कि, यहां तक की जब आप जब बीजेपी के समर्थकों से भी बेरोजगारी और महंगाई की बात पूछेंगे तो वो भी चुप हो जाते है. कुल मिलाकर बात ये है कि, लोगों के पास ये सभी मुद्दे तो है लेकिन इसमें दो सवाल खड़े होते है.
1- क्या महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे सियासी मुद्दे बन पाएंगे?
2- दूसरा सवाल ये है कि, क्या जनता के समक्ष बीजेपी से अलग कोई ऐसा विपक्ष या दल है जिनपर जनता भरोसा कर सके? मेरे ख्याल में ये एक महत्वपूर्ण सवाल है.
सरकार के दुहराने के पक्ष में 5 फीसदी ज्यादा लोग
CSDS के सर्वे में बीजेपी के सरकार के लौटने वाले सवाल पर 44 फीसदी लोगों का मानना है कि, बीजेपी सरकार लौट के आए वहीं 39 फीसदी लोग ये चाहते है की नहीं लौट के आए. यानी दोनों के बीच 5 फीसदी का गैप है जो 2019 में 12 फीसदी का था. इसपर आपका क्या ख्याल है?
ADVERTISEMENT
CSDS के सर्वे की महत्वपूर्ण बात ये है कि, वो एक ही सवाल को बिना किसी बदलाव के हर बार पूछते है. इससे ये फायदा रहता है कि, हम आसानी से तुलना कर सकते है. रही बात सरकार के रिपीट होने के सवाल की तो ये एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल है क्योंकी इससे ये पता चलता है कि, सरकार से कितने लोग संतुष्ट है और कितने असन्तुष्ट है. 2019 के सर्वे को हम देखें तो ये बात साफ थी कि, पुलवामा, बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चुनाव बिल्कुल एकतरफा हो गया था जो सर्वे के आंकड़ों में भी देखने को मिला था.
ADVERTISEMENT
हालांकि इस बार मुकाबला थोड़ा टाइट हो गया है. दोनों के बीच का अंतर केवल पांच फीसदी का है. हां ये बात जरूर है कि, सरकार के पक्ष में अभी भी लोग ज्यादा है. लेकिन इस पर कोई निर्णय करने से पहले हमें 2004 के सर्वे को भी याद करना चाहिए जब अटल जी के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार को एक मौका और देने के पक्ष में ज्यादा लोग थे हालांकि चुनावी नतीजे पलट गए और कांग्रेस का UPA अलायंस सत्ता में आ गया. उस समय सर्वे के आंकड़े फेल साबित हुए थे. इसी प्रकार इस बार का मुकाबला भी टाइट लग रहा है.
इस पूरी बातचीत को आप यहां सुन सकते हैं-
ADVERTISEMENT