सूरत में बीजेपी की निर्विरोध जीत से डरे ओवैसी? छोटे भाई को बनाया डमी कैंडिडेट

रूपक प्रियदर्शी

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Asaduddin Owaisi: असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद की लोकसभा सीट से 2004 से लगातार जीत रहे हैं. कांग्रेस वाले बीजेपी की बी टीम कहे जाते हैं लेकिन 2024 में ओवैसी डरे हैं कि बीजेपी के खिलाफ चुनाव लडने के कारण कहीं नामांकन ही खारिज न हो जाएं. बीजेपी ने माधवी लता को उम्मीदवार बनाकर पूरी तैयारी की हुई है कि ओवैसी को जीतने नहीं देना है.

अकबरुद्दीन को बनाया डमी कैंडिडेट

माना जा रहा है कि सूरत के ऑपरेशन निर्विरोध से AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी खौफ में हैं. डर कम करने के लिए ओवैसी ने भी गहरी चाल चली है. चुनाव में AIMIM बनी रहे, इसके लिए अपने छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी से भी नामांकन करा दिया है. अकबरुद्दीन डमी कैंडिडेंट बनाए गए हैं. अकबरुद्दीन ओवैसी दिसंबर में तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में चंद्रायनगुट्टा सीट से जीतकर विधायक बने हैं. ओवैसी खानदान की नाक बचाने के लिए साल भर में फिर चुनाव में अपने बड़े भाई वाली सीट पर उतरे हैं. 

कुछ घंटे पहले तक अकबरुद्दीन अपने भाई असदुद्दीन ओवैसी के लिए हैदराबाद के अलग-अलग इलाकों में जाकर प्रचार भी कर रहे थे. अचानक नामांकन भर दिया. हैदराबाद सीट पर असदुद्दीन ओवैसी के सामने अकबर ओवैसी के उतरने को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं.

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कहा ये भी जा रहा है कि दोनों भाइयों के बीच आजकल सब कुछ सही नहीं चल रहा है. इसलिए अकबर असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ चुनाव में उतर गए हैं. 

क्या होता है डमी कैंडिडेट?

डमी कैंडिडेट, कवरिंग कैंडिडेट, वैकल्पिक कैंडिडेट-कई नाम हैं. हर चुनाव में बड़ी पार्टियां इस फॉर्मूले को लेकर चलती हैं. नामांकन खारिज होने या उम्मीदवार के निधन होने जाने की स्थिति में ये काम आता है. जब मुख्य उम्मीदवार का नामांकन चुनाव आयोग से अप्रूव हो जाता है तो वैकल्पिक उम्मीदवार का हलफनामा या उम्मीदवारी खारिज कर दी जाती है. सूरत के मामले में ये हुआ कि कांग्रेस के मुख्य और वैकल्पिक-दोनों उम्मीदवारों का नामांकन खारिज हो गया था. बाकी उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया.
 
ओवैसी परिवार भी हर चुनाव में ये फॉर्मूला चलता है. जब अकबरुद्दीन ओवैसी ने चंद्रायनगुट्टा विधानसभा से अपना नामांकन दाखिल किया था उसी सीट से उनके बेटे नूरउद्दीन औवेसी ने भी नामांकन किया था. फिर नामांकन वापस लेने की तारीख आई तो नामांकन वापस भी ले लिया. 

हैदराबाद सीट पर 40 साल से ओवैसी परिवार का कब्जा

40 साल से हैदराबाद लोकसभा सीट ओवैसी परिवार का गढ़ है. AIMIM 1984 से लगातार जीत रही है. 1984 से 1999 तक हर चुनाव जीतकर ओवैसी के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी 6 बार लोकसभा सांसद बने. 2004 से लेकर 2019 तक, 4 बार से असदुद्दीन ओवैसी जीत चुके हैं. लोकसभा चुनाव के 10 चुनाव एक ही परिवार का जीतना कोई मामूली बात नहीं है. ओवैसी फुल फॉर्म से 5वीं जीत के लिए लगे हुए हैं. 

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ओवैसी के रास्ते में पहली बार कोई पार्टी मजबूती से आई है. चुनाव लड़ने से ज्यादा चुनाव जीतने की कोशिश के साथ उतरी है. मुस्लिम बहुल हैदराबाद में हिंदू राजनीति करने वाली माधवी लता को लड़ाया गया है. माधवी लता के आने से हैदराबाद का चुनाव दिलचस्प बन गया है.

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माधवी लता को लेकर रोज कोई न कोई चर्चा है. रोड शो करते हुए मस्जिद की ओर आपत्तिजनक इशारा करना या बयानबाजी-किसी न किसी माधवी लता चर्चा में बनी हुई हैं. ओवैसी के बैरिस्टर होने और मुसलमानों वाली राजनीति पर माधवी लता सीधे हिट कर रही हैं

कांग्रेस कर रही ओवैसी की मदद?

दिलचस्पी के साथ अब ये सस्पेंस भी है कि हैदराबाद में कांग्रेस क्या करेगी. अभी तक हैदराबाद में कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा है. तेलंगाना में कांग्रेस या AIMIM का किसी से कोई अलायंस नहीं है. हैदराबाद में कांग्रेस की देरी को लेकर भी कई बातें कही जा रही हैं कि कहीं रेवंत अपने दोस्त असदुद्दीन ओवैसी के लिए वॉकओवर की तैयारी तो नहीं कर रहे हैं. हैदराबाद में 13 मई को चौथे चरण में चुनाव होने हैं.

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