राहुल की कास्ट सेंसस पॉलिटिक्स पर बैकफुट पर मोदी सरकार? जातीय जनगणना को लेकर अब बड़ी खबर सामने आई

रूपक प्रियदर्शी

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Caste Census: लैटरल एंट्री को पहले राहुल गांधी ने आरक्षण से जोड़ दिया. फिर एलजेपी विरोध में आ गई। जेडीयू ने सरकार को चेताया कि इससे राहुल गांधी पिछड़ों के चैम्पियन बन जाएंगे. बैकफुट पर आई मोदी सरकार ने लैटरल भर्ती रद्द की. लैटरल एंट्री पर सरकार के यूटर्न को राहुल गांधी की जीत कहा जाता है. अब सरकार जो करने जा रही है वो फिर राहुल गांधी को चैम्पियन बनाने जा रही है.

जातीय जनगणना पर विचार कर रही सरकार

द हिंदू  की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार 2021 यानी 3 साल से पेंडिंग जनगणना शुरू का इरादा बना रही है लेकिन खबर ये नहीं है. खबर ये है कि सरकार जनगणना का जो कार्यक्रम बना रही है उसमें जातीय जनगणना भी हो सकती है. मतलब आबादी की संख्या जानने के साथ-साथ सरकार ये भी पता लगाएगी कि किस जाति की कितनी जनसंख्या है. जनगणना कब, कैसे होगी, इसका कुछ फाइनल नहीं है लेकिन सरकार में ये विचार शुरू है कि जनगणना हो तो जातीय जनगणना के साथ हो. इतना  सुनते ही कांग्रेस ने मौके पर चौका मारा है.  मांग की है कि SC-ST के साथ OBC की जनगणना कराने के लिए एक और कॉलम जोड़ा जाए. 

जातीय जनगणना कराकर सरकार क्रेडिट लेना चाहेगी लेकिन क्रेडिट राहुल गांधी को जाएगा जिन्होंने पिछले 2 साल से जातीय जनगणना की रट लगा रखी है. हो सकता है सोच ये हो कि सरकार ने जातीय जनगणना करा दी तो राहुल गांधी के हाथ से मुद्दा हमेशा के लिए छीन जाएगा लेकिन ये मैसेज तो जाएगा ही कि राहुल गांधी से डरकर सरकार ने जातीय जनगणना करा दी.  वक्फ बोर्ड, ब्रॉडकास्ट बिल, लैटरल भर्ती के मुद्दों पर सरकार साबित कर चुकी है कि अब जरा कम कॉन्फिडेंस वाली सरकार है. 

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नीतीश बिहार में करा चुके हैं जातीय जनगणना

राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की मांग तेज करनी शुरू की थी उससे पहले 2023 में नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय जनगणना करा ली थी. उसी दिनों में नीतीश कुमार कांग्रेस के करीब आए. उनके साथ जातीय जनगणना भी इंडिया ब्लॉक में आया. राजनीति का चक्कर ऐसा चला कि जातीय जनगणना कराने के बाद भी नीतीश कुमार चैम्पियन नहीं बन सके. जातीय जनगणना की गारंटी देकर राहुल गांधी आरक्षण, जाति और जातीय जनगणना वाली राजनीति लूट ले गए. 

राहुल गांधी ने जातीय जनगणना के साथ एक नारा टैग कर दिया जिसकी जितनी आबादी उसको उतना हक. जातीय जनगणना आरक्षण से जुड़ गया. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों राज्य सरकारों को जातियों के वर्गीकरण का आदेश दिया जिस पर हंगामा थम नहीं रहा है. राज्यों को ये अधिकार मिले कि वो जातियों का वर्गीकरण करके नई जातियों को आरक्षण के दायरे में ला सकते हैं लेकिन इसके लिए सरकारों को जातियों के नंबर जुटाने होंगे. मतलब जातीय जनगणना करानी होगी. जातीय जनगणना अकेले राहुल या कांग्रेस का नहीं, पूरे विपक्ष का एजेंडा बन चुका है.

जातीय जनगणना पर राहुल गांधी बीजेपी पर भारी पड़ रहे हैं. बिहार में तो बीजेपी ने नीतीश कुमार के साथ चलने के लिए जातीय जनगणना का समर्थन किया था लेकिन नेशनल लेवल पर बीजेपी जातीय जनगणना के पक्ष में है नहीं. एनडीए की कई पार्टियां राहुल गांधी के विरोध करने के बावजूद जातीय जनगणना की मांग करती हैं. अनुप्रिया पटेल, अजित पवार सहयोगी एनडीए में जातीय जनगणना के समर्थक हैं. नीतीश कुमार  जातीय जनगणना करा चुके हैं. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी ने इसी साल जनवरी में सरकार में रहते हुए जातीय जनगणना शुरू कराया था. 

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आखिरी बार 2011 में हुई थी जातीय जनगणना

2015 में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सबसे पहले जातीय जनगणना कराई थी लेकिन नंबर जारी नहीं हुए. तब किसी ने न ध्यान दिया, न सोचा कि राहुल गांधी के चलते एक दिन जातीय जनगणना इतना बड़ा मुद्दा बन जाएगा. जनगणना आखिरी बार 2011 में यूपीए शासन में हुई थी. तब इकोनॉमिक, सोशियो के साथ कास्ट सेंसस SECC भी हुआ था. सरकार ने जातियों के नंबर जारी नहीं किए. आखिरी ऑफिशियल जातीय जनगणना 1931 के बाद नहीं हुई. 1931 की जनगणना के मुताबिक भारत में 4147 जातियों की थी. 2011 वाली SECC रिपोर्ट में 46 लाख जातियां-उपजातियां निकली. 2021 में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि 2011 वाले जातियों के नंबर सही नहीं थे. उसमें गड़बड़ियां थीं.

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2021 में जो जनगणना होनी थी वो मोदी सरकार ने कराई नहीं. बहाना लग गया कोविड का. सरकार ने पहले फेज काम शुरू कराया लेकिन उसके बाद अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया. 

जातियों से जुड़ा है आरक्षण जिसकी अपर लिमिट सुप्रीम कोर्ट ने 50 परसेंट फिक्स की हुई है. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने चुनाव में भी वादा किया था कि इस 50 परसेंट वाली लिमिट को बढ़ाना जरूरी है ताकि आरक्षण का फायदा आबादी के हिसाब से जातियों को मिल सके. अगर सुप्रीम कोर्ट के कहने पर राज्य सरकारों ने वर्गीकरण के लिए जातियों के नंबर जुटाना शुरू किया वो भी जातीय जनगणना ही होगी.

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