जजों के नियुक्ति में देरी पर CJI चंद्रचूड़ ने दे दी केंद्र सरकार को नसीहत, कहा- 'कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी नहीं'
Supreme Court News: देश में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति कॉलेजियम पद्धति से होती है. कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के पांच सीनियर जज शामिल हैं. कॉलेजियम ही जजों की नियुक्ति को लेकर सिफारिश केंद्र सरकार को करती है फिर सरकार उन्हीं में से किसी को जज नियुक्त करती है.
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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से एक बड़ी डिमांड की है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से उन कैंडिडेट्स की लिस्ट सबमिट करने को कहा, जिनके नाम कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों में जजों के रूप में नियुक्ति के लिए दिए थे, लेकिन अभी तक उन्हें मंजूरी नहीं मिली है. पहले से चले आ रहे नियम के मुताबिक, अगर कॉलेजियम ने अपना फैसला दे दिया है, तो सरकार जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश स्वीकार करने के लिए बाध्य है. हालांकि नाम देने के बाद भी जजों की नियुक्ति नहीं होना है सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच तनातनी चल रही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने कैंडिडेट्स की लिस्ट मांग कर सरकार को अलग खेल में फंसा दिया है.
आपको बता दें कि, देश में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति कॉलेजियम पद्धति से होती है. कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के पांच सीनियर जज शामिल हैं. कॉलेजियम ही जजों की नियुक्ति को लेकर सिफारिश केंद्र सरकार को करती है फिर सरकार उन्हीं में से किसी को जज नियुक्त करती है. यह प्रक्रिया सालों से चलती आ रही है और इस पर काफी विवाद होता रहा है.
'कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी नहीं'- CJI चंद्रचूड़
जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजो की बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, 'सरकार को यह साफ करना होगा कि कॉलेजियम के दोहराए गए नामों से क्या परेशानी है. हमें एक चार्ट दीजिए, जिसमें इस बात का जिक्र हो कि नामों के दोहराए जाने के बाद आगे क्या कार्यवाही की गई है. उन्होंने आगे कहा, 'कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी नहीं है. अगर यह महज सर्च कमेटी की होती, तो आपके पास विवेकाधिकार होता. आइडिया अलमारी में छिपे रहस्यों को उजागर करने का नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का है.'
प्रशांत भूषण ने दिया ये सुझाव
इस मसले पर सुनवाई के दौरान एडवोकेट प्रशांत भूषण ने बेंच से कहा कि, 'कॉलेजियम के दोहराए गए नामों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय की जा सकती है. ऐसा नियम होना चाहिए कि अगर वे एक निश्चित वक्त तक सिफारिशों को मंजूरी नहीं देते हैं, तो इसे स्वीकार कर लिया गया माना जाएगा.'
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किसकी याचिका पर SC में हुई सुनवाई?
वकील हर्ष विभोर सिंघल के दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसमें कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए नामों की नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए केंद्र को निश्चित समय सीमा देने की मांग की गई थी. इसके अलावा, झारखंड सरकार ने भी एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें जस्टिस एमएस रामचंद्र राव को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त करने के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश को मंजूरी नहीं देने के लिए केंद्र के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी.
'जजों की नियुक्ति में देरी करना गलत है'
झारखंड की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा, 'कॉलेजियम ने बहुत पहले ही उड़ीसा हाई कोर्ट के जज डॉ. जस्टिस बीआर सारंगी को झारखंड के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी, लेकिन केंद्र ने सारंगी की रिटायरमेंट से सिर्फ 15 दिन पहले इसे मंजूरी दे दी. यह बहुत गलत है.' इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ जस्टिस ने केंद्र से कहा, 'आप हमें बताएं कि वे नियुक्तियां क्यों नहीं की जा रही हैं.'
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वैसे आपको बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर एक नया प्रस्ताव पारित किया था. कॉलेजियम ने जस्टिस सुरेश कुमार कैत (दिल्ली हाई कोर्ट), जस्टिस जीएस संधावालिया (पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट) और जस्टिस ताशी रबस्तान (जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट) के संबंध में अपनी पिछली सिफारिशों में बदलाव किया है.
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