राहुल गांधी का दावा- लोकसभा में BJP को हराएगा INDIA, पर इतने जो पेच फंसे हैं उनका क्या?
भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने नागालैंड के कोहिमा में कहा है कि INDIA लोकसभा चुनावों को जीतने के लिए काम कर रहा है. राहुल ने दावा किया कि सीट शेयरिंग को लेकर अच्छी बातचीत चल रही है
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Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) को हराने के लिए विपक्ष ने इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) बना रखा है. कांग्रेस और इस अलायंस के साथी राजनीतिक दलों की कोशिश है कि बीजेपी के सामने चुनाव में एक साझा उम्मीदवार उतारे पर सीट शेयरिंग का मामला कई राज्यों में फंसा है. इस बीच भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने नागालैंड के कोहिमा में कहा है कि INDIA लोकसभा चुनावों को जीतने के लिए काम कर रहा है. राहुल ने दावा किया कि सीट शेयरिंग को लेकर अच्छी बातचीत चल रही है और ज्यादातर जगहों पर आसानी से सीट बंटवारा होगा. पर इंडिया गठबंधन की हालिया गतिविधियों को देखें, तो ऐसा लगता नहीं है. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर INDIA गठबंधन में चल क्या रहा है? पढ़िए ये इनसाइड स्टोरी…
1- जेडीयू नाराज है?
इंडिया गठबंधन में अभी भी ये रहस्य बना हुआ है कि आखिर नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) चाह क्या रही है? अपने पुराने राजनीतिक फैसलों को लेकर नीतीश कुमार की विश्वसनीयता भी इंडिया गठबंधन के साथियों के बीच संदेह की वजह रही है. ऐसा माना जाता है कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन की पटना की पहली बैठक से ही इसके संयोजक बनने का ख्वाब पाले हुए हैं. जेडीयू का धैर्य भी जवाब देता नजर आया. इस बीच पिछली बैठक में जब नीतीश कुमार को संयोजक बनने का प्रस्ताव दिया गया, तो जेडीयू ने कहा कि नीतीश किसी पद की रेस में नहीं है. कांग्रेस को नीतीश संग सीट शेयरिंग के मोर्चे पर भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या के समाधान के लिए कांग्रेस को उम्मीद अब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पर है.
2- ममता बनर्जी के खेमे में क्या चल रहा है?
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच की जुबानी जंग ने दोनों दलों में तनाव बढ़ाने का काम किया है. इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक में ममता बनर्जी शामिल ही नहीं हुईं. मामला टूट के कगार तक पहुंच गया. सूत्रों की मानें, तो मामले को आगे बिगड़ने से बचाने के लिए राहुल गांधी ने ममता बनर्जी से बात की है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी पर लगातार हमलावर हैं. कांग्रेस की चिंता है कि कहीं स्थानीय लीडरशिप राष्ट्रीय स्तर पर चल रहा एका के इस प्रयास को डिरेल न कर दे.
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3- सपा के साथ क्या है पंगा?
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भी समाजवादी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग की बातचीत समय से पीछे चल रही है. इसके बीच कांग्रेस का खराब होमवर्क भी माना जा रहा है. हालिया एक बैठक में तो सपा ने अग्रेसिव रुख दिखाते हुए कांग्रेस से उन सीटों की लिस्ट मांग ली, जहां से वो चुनाव लवड़ना चाहती है. कांग्रेस इसके लिए अगले कुछ दिनों में भी तैयार नहीं हो पाई और अगली बैठक टालनी पड़ गई. यूपी में विपक्ष की ओर से से सबसे मजबूत स्थिति में होने के चलते सपा चाहती है कि वह इंडिया गठबंधन की सीट शेयरिंग में ड्राइविंग सीट पर रहे. राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) अबतक सपा-कांग्रेस की बैठक का हिस्सा नहीं रही है. माना जा रहा है कि जयंत इस मामले में अखिलेश के साथ ही हैं. ऐसे में कांग्रेस को यहां सपा के साथ ही डील करना है, जो नहीं चाहती कि यूपी में ग्रैंड ओल्ड पार्टी कोई बड़ी महत्वकांक्षा दिखा पाए.
4- अपने चुनावी रणनीतिकार को ही किया साइड?
पिछले दिनों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी भाषी प्रदेशों में मिली हार से कांग्रेस अबतक उबर नहीं पाई है. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि हार के बाद कांग्रेस ने अपने चुनावी रणनीतिकार सुनील कनुगोलू को 2024 के चुनावी महाअभियान से हटा गिया है. कनुगोलू को साल के अंत में होने वाले हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों पर फोकस करने के कहा गया है. कांग्रेस के नेता सुनील कनुगोलू को ‘इनहाउस प्रशांत किशोर’ कहते रहते हैं. दो साल पहले प्रशांत किशोर जब कांग्रेस से अलग हुए, तो कनुगोलू ट्रंप कार्ड की तरह सामने आए. अब यह रणनीति समझ से परे है कि कनुगोलू को क्यों 2024 की स्ट्रैटिजी की बजाय दूसरी जिम्मेदारी दी गई है.
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ऐसी स्थिति में कांग्रेस अब इस चुनावी समर में बिना किसी एक्सपर्ट के साथ खड़ी नजर आ रही है. चुनाव अब दूर नहीं हैं और इसके अभाव में कांग्रेस को लोकसभा से जुड़े खास इनपुट और रणनीतियों की कमी से जूझना पड़ सकता है. पार्टी के एक नेता का कहना है कि उत्तर-पूर्व में चल रही राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भी संसाधन और लोगों के लगने से भी पार्टी की चुनावी तैयारियों पर जरूर असर पड़ेगा.
रिपोर्ट: राहुल गौतम और मौसमी सिंह, इंडिया टुडे.
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