चंद्रबाबू नायडू पर ऐसे क्या आरोप हैं कि FIR रद्द करने पर फैसला नहीं ले पाई 2 जजों की बेंच?
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पिछले कुछ महीनों से घोटाले के आरोप में घिरे हुए हैं. नायडू पर प्रदेश की ‘कौशल विकास योजना’ में घोटाले का आरोप है.
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Chandrababu Naidu: तेलुगु देशम पार्टी(TDP) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पिछले कुछ महीनों से घोटाले के आरोप में घिरे हुए हैं. नायडू पर प्रदेश की ‘कौशल विकास योजना’ में घोटाले का आरोप है. पिछले साल नौ सितंबर को उन्हें इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था. वैसे 20 नवंबर को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी. इसके बाद चंद्रबाबू नायडू ने अपने खिलाफ दायर FIR को रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली थी, जिसपर आज फैसला आना था. लेकिन दो जजों की बेंच में आपसी राय न बन पाने की वजह से फैसला नहीं हो पाया.
चंद्रबाबू नायडू की FIR रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच फैसला नहीं कर पाई. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A को लेकर बेंच के दोनों जजों की राय विभाजित थी, इसी वजह से इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया. अब दो जजों की बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच के लिए चीफ जस्टिस (CJI) को पास भेज दिया है.
Supreme Court’s two-judge bench delivers split verdict in a plea filed by former Andhra Pradesh Chief Minister N Chandrababu Naidu seeking to quash FIR and criminal proceedings against him in the Skill Development scam case.
Justices Aniruddha Bose and Bela Trivedi disagree and… pic.twitter.com/vz4yFzKwao
— ANI (@ANI) January 16, 2024
जानिए चंद्रबाबू नायडू पर घोटाले के कैसे आरोप
जब चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब उनकी सरकार ने युवाओं को कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण देने के लिए ‘आंध्र प्रदेश स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन’ की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत प्रदेश की राजधानी हैदराबाद और इसके निकटवर्ती इलाकों में स्थित उद्योगों/कंपनियों में काम करने के लिए युवाओं को आवश्यक कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाना था. सरकार ने प्रशिक्षण की जिम्मेदारी एक कंपनी प्राइवेट कंपनी Siemens को दी थी. इस योजना के तहत कुल छह क्लस्टर्स बनाए गए, जिनपर कुल 3300 करोड़ रुपये खर्च होने थे.
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तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने विधानसभा में बताया था कि, इस योजना के तहत राज्य सरकार कुल खर्च का 10 फीसदी यानी 371 करोड़ रुपये खर्च करेगी, वहीं बाकी का 90 फीसदी खर्च सीमेन्स द्वारा दिया जाएगा. आरोप ये है कि, चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने योजना के तहत खर्च होने वाले 371 करोड़ रुपये शेल कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए और इससे संबंधित दस्तावेजो को भी नष्ट कर दिया.
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