साप्ताहिक सभा: 15 अगस्त पर PM मोदी के भाषण से ज्यादा राहुल गांधी की सीटिंग व्यवस्था क्यों रही चर्चा में, समझिए
लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पीछे की पंक्ति में बिठाए जाने से एक नया विवाद खड़ा हो गया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से भी अधिक सुर्खियां बटोर रहा है.
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Saptahik Sabha:15 अगस्त को लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान एक नई चर्चा छिड़ गई जब लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सीटिंग व्यवस्था में पीछे की पंक्ति में बिठाया गया. इस बात को लेकर विवाद खड़ा हो गया कि उन्हें आगे नहीं बिठाया गया.
राहुल गांधी को पीछे की सीट पर बैठाने का मुद्दा इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि वह विपक्ष के नेता हैं और उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी. वहीं, इस बार के साप्ताहिक सभा में ‘Tak’ क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष से इस मुद्दे पर और साथ ही उन्होंने सिविल कोड जैसे मुद्दे पर भी बात की. वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने इस मामले पर चर्चा करते हुए इसे प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के बीच के तनाव का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि इस घटना ने यह दिखाया कि दोनों के बीच में कितनी अधिक तल्खी और असम्मान है. उन्होंने यह भी बताया कि लोकतंत्र में विपक्ष के नेता को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए.
पीएम ने अपने भाषण में अपने वोटर्स को दिया खास संदेश-आशुतोष
पत्रकार आशुतोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए भाषण की भी चर्चा की. पीएम मोदी के भाषण में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का जिक्र भी खासा महत्वपूर्ण था. प्रधानमंत्री ने इसे हिंदुत्व के एजेंडे से जोड़ते हुए इसे साम्प्रदायिक कानून की तरह पेश किया. आशुतोष के अनुसार, यह स्पष्ट संकेत है कि प्रधानमंत्री अपने वोट बैंक को यह संदेश देना चाहते हैं कि भाजपा अपने हिंदुत्व के एजेंडे से भटकी नहीं है.
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आशुतोष ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भाजपा का रुख कोई नई बात नहीं है. यह मुद्दा 1952 से पार्टी के एजेंडे में शामिल रहा है, लेकिन इसे लागू करना हमेशा से विवादित रहा है. मुस्लिम समुदाय इसे अपने धार्मिक मामलों में दखलंदाजी मानता है और इस वजह से वे इस कानून का विरोध करते रहे हैं.
पीएम के भाषण से ज्यादा राहुल की सीटिंग व्यवस्था की चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की तुलना में राहुल गांधी की सीटिंग व्यवस्था पर विवाद ने ज्यादा सुर्खियां बटोरीं. आशुतोष ने कहा कि अगर राहुल गांधी को पहली पंक्ति में बिठाया जाता तो यह विवाद शायद उठता ही नहीं. उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इससे प्रधानमंत्री के भाषण से लोगों का ध्यान भटक गया.
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उन्होंने यह भी बताया कि अतीत में भी नेताओं के बीच नापसंदगी होती थी, लेकिन वे एक-दूसरे का सम्मान करते थे. आज की राजनीति में यह सम्मान कहीं गायब हो गया है और इसका नतीजा संसद में देखी जाने वाली तीखी बहसों में दिखाई देता है. प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के बीच की इस शत्रुता ने भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ ले लिया है.
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आप पूरे इंटरव्यू को यहां देख और सुन सकते हैं.
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