मायावती ने ना कहकर INDIA में और पक्का कर दिया अखिलेश-कांग्रेस का रिश्ता! पर एक पेच और है, जानिए
INDIA alliance seat sharing news: नीतीश कुमार जब विपक्षी एकता का मिशन शुरू कर रहे थे तब उन्होंने भी कहा था कि 14 वाले 24…
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INDIA alliance seat sharing news: नीतीश कुमार जब विपक्षी एकता का मिशन शुरू कर रहे थे तब उन्होंने भी कहा था कि 14 वाले 24 में नहीं आएंगे. कांग्रेस के साथ गिले-शिकवे भुलाकर फिर गठबंधन करने को तैयार हुए अखिलेश यादव भी अब कहने लगे हैं कि 2014 में जो आए थे, उन्हें हटाना है. दिल्ली में कांग्रेस और सपा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत फिर होगी. पिछले हफ्ते होने वाली सीट शेयरिंग वाली बैठक कांग्रेस ने सपा नेताओं को बताए बिना अचानक कैंसल कर दी थी. चर्चा तेज हुई थी कि मायावती इंडिया गठबंधन में आ सकती हैं. मायावती या अखिलेश यादव, कांग्रेस इस धर्मसंकट में थी. सुनने में आया कि कांग्रेस मायावती का मूड-मिजाज जानने के बाद आगे सपा से बात करेगी. मायावती के इंडिया गठबंधन में आने से अखिलेश यादव भी असहज थे. 15 जनवरी को मायावती ने जन्मदिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अखिलेश यादव का संकट और राहुल गांधी का धर्मसंकट ये कहकर एक साथ खत्म कर दिया कि बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी. किसी से गठबंधन नहीं करेगी.
मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सपा के साथ कांग्रेस की एक राउंड की बातचीत हो चुकी थी. दूसरे पर सस्पेंस था. सूत्र बता रहे हैं कि मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस होते ही कांग्रेस से सपा नेताओं को फोन किया गया कि 17 जनवरी को सीट शेयरिंग पर बैठक करना चाहते हैं. सपा को भी सीट शेयरिंग फॉर्मूला फाइनल होने की जल्दी है. अखिलेश तो इसी महीने उम्मीदवारों की एक लिस्ट निकालने को बेताब हैं.
फिलहाल करीब-करीब ये फाइनल है कि यूपी की 80 सीटों का बंटवारा इंडिया गठबंधन में कम से कम तीन पार्टियां कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल के बीच होगा. समाजवादी पार्टी 60 सीटों पर दावा कर रही है. आरएलडी 8 सीटें मांग रही है. कांग्रेस 25 सीटें मांग रही है. कांग्रेस ने 23 सीटों की लिस्ट भी सपा को दी है जिसे प्रियंका गांधी, अविनाश पांडे, अजय राय ने तैयार किया है.
यूपी के 80 सीटों के हिस्सेदार (अभी की मांग)
- समाजवादी पार्टी – 60 सीट
- कांग्रेस – 25 सीट
- राष्ट्रीय लोकदल- 8 सीट
कहा जा रहा है कि कांग्रेस की 25 सीटों की डिमांड सपा को अखर रही है. कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की जीती हुई कुछ सीटों पर भी दावा ठोंका है. यूपी ही नहीं, कई राज्यों में कांग्रेस सीट शेयरिंग के लिए 2009 के नतीजे को आधार बना रही है जब उसने जीतकर सरकार बनाई थी. 2009 में कांग्रेस ने 23 सीटें जीती थी लेकिन 2014 और 2019 में एक-दो सीटों तक सीमित रही कांग्रेस.
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यूपी में कैसा रहा गठबंधन का एक्सपीरियंस?
कांग्रेस और सपा के बीच पहली बार अलायंस नहीं हो रहा है. अलग बात ये है कि 2017 में किए गए अलायंस से बीजेपी का ही भला हुआ. 2017 में प्रियंका गांधी के पास यूपी का चार्ज था. राहुल गांधी, अखिलेश यादव मिलकर चुनाव लड़ रहे थे. तब समाजवादी पार्टी की सरकार में अखिलेश यादव सीएम होते थे. योगी तो सीन में भी नहीं थे. बीजेपी ने बिना सीएम फेस के 300 से ज्यादा सीटें कर सपा से सत्ता छीन ली थी. कांग्रेस-सपा का अलायंस 50 का भी नंबर पार नहीं कर सका. तब के बिछड़े सपा-कांग्रेस 7 साल बाद फिर वही प्रयोग कर रहे हैं. कांग्रेस को तो संकोच नहीं है लेकिन अखिलेश यादव रह-रहकर दो कदम आगे चलकर एक कदम पीछे हटा लेते हैं.
अखिलेश-माया का साथ आने का प्रयोग भी हो चुका है फेल
2017 की हार के बाद कांग्रेस-सपा साथ आने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. 2019 में अखिलेश यादव ने मायावती से गठबंधन का प्रयोग किया. तब अखिलेश प्रेस कॉन्फ्रेंस में साथ बैठी मायावती को प्रधानमंत्री तक बनवा रहे थे. अब मायावती अखिलेश यादव की तुलना गिरगिट से करती हैं.अलायंस से बीजेपी को रोक नहीं सका. हारने के बाद भी सपा से दोगुनी सीटें लेकर बीएसपी फायदा ले गईं. वो नाकाम प्रयोग अखिलेश यादव को डराता होगा तभी वो इंडिया गठबंधन में मायावती को एंट्री नहीं चाह रहे थे.
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2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने अगर थोड़ा कोई टिका तो वो है समाजवादी पार्टी. बीएसपी और कांग्रेस बुरी तरह निपट गए. 403 में से बीजेपी ने अकेले 255 सीटें जीत ली. बीएसपी को एक, कांग्रेस को 2 लेकिन समाजवादी पार्टी ने योगी लहर में भी 111 सीटें निकाल लीं. वो भी तब जबकि सपा का किसी से अलायंस नहीं था.
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राहुल गांधी की यात्रा बदलेगी तस्वीर?
यूपी से कांग्रेस की विदाई के 30 साल हो चुके हैं. प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव के साथ किया गया प्रयोग भी पार्टी को जिंदा नहीं कर सका. राहुल गांधी ने फिर हिम्मत की है. पहली भारत जोड़ो यात्रा तो बस यूपी के रास्ते से होकर गुजरी थी लेकिन भारत जोड़ो यात्रा 2 को राहुल गांधी यूपी तक लेकर जा रहे हैं. यूपी में कांग्रेस की राजनीति औऱ भाग्य बदलने का ये सबसे बड़ा मौका है जिसका नतीजा लोकसभा चुनाव के नतीजे से दिखेगा.
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