वक्फ बोर्ड पर हो गया फैसला! कांग्रेस ने कहा- बिल स्थाई समिति को भेजें पर मोदी सरकार कल करेगी पेश
Waqf Board Bill: जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार इस ऐक्ट में करीब 40 संशोधन करने जा रही है. सरकार इसके जरिए वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर विराम लगाना चाहती है.
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Waqf Board Bill: बीते कई दिनों की जद्दोजहत के बाद केंद्र सरकार ने 8 अगस्त को वक्फ बिल को संसद में पेश करने का फैसला किया है. जानकारी के मुताबिक संसदीय कामकाज की सलाहकार समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि, वक्फ बिल कल लोकसभा में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू पेश करेंगे. दूसरी तरफ लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने मांग की हैं कि इस विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए. आपको बता दें कि किसी भी विधेयक को स्थायी समिति में इसलिए भेजा जाता है कि, समिति विधेयक से जुड़े विषय पर विशेषज्ञों की राय या विषय में रुचि रखने वाले लोगों की राय ले सके जिससे विधेयक के हर भाग पर अच्छे से विचार-विमर्श किया जाए. हालांकि सरकार ने उनकी बात को दरकिनार करते हुए कल 11 बजे वक्फ बिल पेश करेगी.
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार इस ऐक्ट में करीब 40 संशोधन करने जा रही है. सरकार इसके जरिए वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर विराम लगाना चाहती है. मोदी सरकार के इस कदम का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विरोध कर रही है. उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाशत नहीं किया जाएगा. आइए आपको बताते हैं वक्फ बोर्ड को लेकर मोदी सरकार का क्या प्लान है?
पहले जानिए क्या होता है वक्फ?
वक्फ एक अरबी शब्द है जो 'वकुफा' से बना है. इसका मतलब ठहरना होता है. वक्फ वो संपत्ति होती है जो इस्लामी कानून के मुताबिक तहत विशेष रूप से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं. वक्फ उस संपत्ति को कहते हैं जो इस्लाम धर्म को मानने वाले दान में देते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. वक्फ बोर्ड का इसपर मालिकाना हक होता है. इसके तहत किसी भी संपत्ति का स्वामित्व बदलता है तो ये माना जाता है कि इसका अधिकार अल्लाह को हस्तांतरित हो जाता है. कहा जाता है कि फिर उसमें कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता है.
'असीमित' अधिकारों पर रोक लगाना चाहती है मोदी सरकार!
जानकारी के मुताबिक, मोदी कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है. मोदी सरकार इसके तहत वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति बनाने की ताकत पर विराम लगाना चाहती है. इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है. संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का फिर से सत्यापन किया जाएगा. माना जा रहा है कि संशोधन करने के बाद वक्फ की संपत्तियों के मैनेजमेंट और ट्रांसफर में बदलाव भी देखना को मिलेगा.
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कितनी है वक्फ बोर्ड की संपत्ति?
एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 8.7 लाख एकड़ रजिस्टर्ड जमीन वक्फ बोर्ड के पास है. आपको बता दें कि, देश में सेना और रेलवे के पास करीब 9.4 लाख एकड़ जमीन है यानी की सेना और रेलवे के पास जितनी जमीन है, उससे थोड़ा ही कम वक्फ बोर्ड के पास है. यानी की वक्फ बोर्ड को हल्के में नहीं लिया जा सकता. CAA जैसे ही यह मामला भी देश के मुस्लिम अल्फसंख्यकों से जुड़ा हुआ है. जाहिर है कि इसका विरोध होना तय है. हो सकता है जिस तरह का विरोध CAA को लेकर किया गया था उससे भी अधिक तगड़ा विरोध इस बार हो.
आपको बता दें कि, 2019 में जब CAA कानून को संसद ने पारित किया तो इतना विरोध हुआ कि सरकार करीब चार साल उसे लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी. सोचने वाली बात यह है कि CAA में जब देश के मुसलमान पर कोई सीधा असर नहीं था, तब इतना बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया गया. वक्फ बोर्ड से तो देश के लाखों मुसलमान जुड़े हुए हैं. अरबों-खरबों की संपत्ति की बात है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि, मोदी सरकार के इस बिल को संसद में पेश करने के बाद क्या रिएक्शन होता है.
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