मुफ्ती परिवार से कश्मीर में नई सियासी एंट्री! UK से पढ़कर आईं इल्तिजा घाटी में दिखाएंगे चमत्कार?

शुभम गुप्ता

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Iltija Mufti:  जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती चर्चा में हैं. उनका नाम इसलिए चर्चा में है क्योंकि वह जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनावों में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने जा रही हैं. इल्तिजा मुफ्ती, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबेहड़ा से चुनाव लड़ेंगी. ये उनके परिवार का गढ़ माना जाता है.

कौन हैं इल्तिजा मुफ्ती?

इल्तिजा मुफ्ती राजनीतिक परिवार से आती हैं. उनके दादा, मुफ्ती मोहम्मद सईद, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के गृह मंत्री रह चुके हैं. उनकी मां महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष हैं और वह भी जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इल्तिजा मुफ्ती ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन और यूनाइटेड किंगडम के वारविक विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल रिलेशन में मास्टर्स की है.

इल्तिजा का राजनीतिक सफर

हालांकि इल्तिजा ने अब तक सक्रिय राजनीति में कदम नहीं रखा था, लेकिन वह सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय खुलकर व्यक्त करती रही हैं. अनुच्छेद 370 हटाने के बाद, जब उनकी मां को नजरबंद किया गया था, तब इल्तिजा ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को संभालने की जिम्मेदारी ली थी और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. उन्होंने इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पूछा था कि क्यों उन्हें नजरबंद रखा गया था.

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लड़ेंगी अपना पहला चुनाव

इल्तिजा मुफ्ती ने अब अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने का फैसला किया है. यह कदम जम्मू-कश्मीर की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर PDP के लिए. इल्तिजा का चुनावी राजनीति में प्रवेश PDP के लिए नई ऊर्जा लेकर आ सकता है, जो कि पिछले कुछ समय से दिक्कतों का सामना कर रही है.

इल्तिजा की विचारधारा और मुद्दे

इल्तिजा मुफ्ती ने हमेशा जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने की बात कही है. उनका मानना है कि जनता के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. वह हमेशा अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करती रही हैं और राज्य की स्वायत्तता की पुनर्स्थापना की वकालत करती हैं.

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चुनाव में इल्तिजा मुफ्ती के सामने कई चुनौतियां होंगी. एक तरफ उन्हें अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी, वहीं दूसरी तरफ उन्हें PDP को पुनर्जीवित करने की भी कोशिश करनी पड़ेगी.जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति पहले से ही जटिल है, ऐसे में इल्तिजा के लिए यह डेब्यू एक कठिन परीक्षा साबित हो सकता है.

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