5 अगस्त को वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन कर देगी केंद्र सरकार? इसपर छिड़े पूरे विवाद को समझिए
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मोदी सरकार वक्फ अधिनियम में बड़े संशोधन कर सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है. जानकारी के मुताबिक केंद्र इसके जरिए वक्फ बोर्ड के 'असीमित' अधिकारों पर विराम लगाना चाहती है.
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Waqf Board: 5 अगस्त एक ऐसी तारीख है जो मोदी सरकार के लिए काफी अलग महत्व रखती है. 5 अगस्त 2019 के दिन मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर सबको चौंका दिया था. इसके बाद अगले ही साल 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन पीएम मोदी द्वारा किया गया था. अब सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि 5 अगस्त 2024 को मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन करने जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मोदी सरकार वक्फ अधिनियम में बड़े संशोधन कर सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है. जानकारी के मुताबिक केंद्र इसके जरिए वक्फ बोर्ड के 'असीमित' अधिकारों पर विराम लगाना चाहती है.
केंद्र ने मौजूदा वक्फ बोर्ड एक्ट में 40 संशोधन की तैयारी की है, जिसमें से एक है कि किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने पर रोक लगाना. वक्फ़ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए भी अनिवार्य सत्यापन का प्रस्ताव दिया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए एक बिल अगले हफ्ते सदन में पटल पर लाया जा सकता है.
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इन सब के बीच इस मामले पर राजनीति भी देखने को मिल रही है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि इस प्रस्तावित संशोधन के बारे में मीडिया में जो कुछ भी लिखा गया है उससे पता चलता है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है और हस्तक्षेप करना चाहती है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला और विपक्ष के नेता इसपर क्या कह रहे हैं.
क्या है वक्फ कानून?
आइए सबसे पहले जानते हैं क्या वक्फ कानून जिसमें मोदी सरकार संशोधन करने जा रही है. साल 1954 में नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया था. बाद में इसका सेंट्रलाइजेशन किया गया. वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता. उसके बाद इसमें काफी बार संशोधन किया गया.
वक्फ बोर्ड्स के पास हैं 8.7 लाख संपत्तियां
सरकारी सूत्रों के अनुसार वक्फ़ बोर्ड्स के पास लगभग 8.7 लाख संपत्तियां हैं जो कि करीब 9.4 लाख एकड़ में है. साल 2013 में वक्फ बोर्ड के एक्ट में संशोधन करके कांग्रेस सरकार ने उन्होंने वक्फ बोर्ड को और भी अधिकार दिए थे.
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केंद्र सरकार पहले भी संज्ञान ले चुका है
केंद्र सरकार इससे पहले भी राज्य में वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर अपान दावा ठोकना और ऐसी संपत्ति के सर्वे में देरी करने पर संज्ञान ले चुका है. सरकार ने संपत्ति का दुरुपयोग करने पर रोकथाम के लिए वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने को लेकर विचार किया था. वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है लेकिन वो सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है. ऐसी अपील्स में फैसलों पर कोई समय-सीमा नहीं होती है. कोर्ट द्वारा लिया गया फैसला ही आखिरी होता है. आपको बता दें कि हाईकोर्ट में पीआईएल के अलावा अपील का कोई भी प्रावधान नहीं है.
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विपक्ष का क्या है कहना?
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन को लेकर आ रही खबरों के बीच केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि "सबसे पहले, जब संसद सत्र चल रहा है, तो केंद्र सरकार संसदीय सर्वोच्चता और विशेषाधिकारों के खिलाफ काम कर रही है क्योंकि इसकी जानकारी मीडिया को दी गई बजाय संसद को सूचित कर के. मैं कह सकता हूं कि इस प्रस्तावित संशोधन के बारे में मीडिया में जो कुछ भी लिखा गया है उससे पता चलता है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है और हस्तक्षेप करना चाहती है. दूसरी बात यह है कि भाजपा शुरू से ही इन बोर्डों और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है और उनका हिंदुत्व एजेंडा है."
उन्होंने कहा कि "अब अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में संशोधन करते हैं तो वहां प्रशासनिक अराजकता होगी, वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी और अगर वक्फ बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा तो वक्फ की स्वतंत्रता प्रभावित होगी. मीडिया रिपोर्ट में लिखा गया है कि अगर कोई विवादित संपत्ति है तो ये लोग कहेंगे कि संपत्ति विवादित है, हम इसका सर्वे कराएंगे. सर्वे बीजेपी, सीएम कराएंगे और उसका नतीजा क्या होगा, आप जानते हैं. हमारे भारत में ऐसी कई दरगाहें हैं जहां बीजेपी-आरएसएस का दावा है कि ये दरगाह और मस्जिद नहीं हैं, इसलिए कार्यपालिका न्यायपालिका की शक्ति छीनने की कोशिश कर रही है."
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