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'IC 814 द कंधार हाइजैक' पर 25 साल बाद पूर्व विदेश मंत्री जसवंतसिंह के बेटे ने किए बड़े खुलासे !

दिनेश बोहरा

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तस्वीर: दिनेश बोहरा, राजस्थान तक.
तस्वीर: दिनेश बोहरा, राजस्थान तक.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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विमान हाईजैक वाले दिन तत्कालीन विदेश मंत्री के घर बेटी का हुआ था जन्म

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दुबई परमिशन दे देता तो नहीं छोड़ने पड़ते थे आतंकवादी.

नेटफ्लिक्स पर 29 अगस्त को रिलीज हुई 'IC 814 द कंधार हाइजैक' को लेकर तमाम विवादों के बीच पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल के बेटे एवं पूर्व सांसद विधायक मानवेंद्र सिंह जसोल ने बड़ा खुलासा किया है. आज तक से खास बातचीत करते हुए मानवेंद्रसिंह जसोल ने कहा है कि IC 814 हाइजैक यात्री विमान को आतंकियों से आजाद करवाने के लिए भारत का एक विमान हवा में ही था. जिसमें एनएसजी कमांडों सवार थे.

अगर दुबई ऑपरेशन की परमिशन देता तो दुबई में ही भारत ऑपरेशन कर सकता था. लेकिन, दुबई ने भारत को इसकी इजाजत ही नहीं दी. मानवेंद्र ने कहा कि भारत का कुछ दबाव काम आया. इसी वजह से फ्यूल भरवाने के एवज में महिलाओं और बच्चों को यूएई में उतारा गया. साथ ही एक मृत पैसेंजर का शव भी वहीं उतारा जा सका.

विदेश मंत्री के लाल सूटकेस में क्या था? 

मानवेंद्रसिंह जसोल ने पहली बार लाल सूटकेस वाले आरोप पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि हाइजैकर की डिमांड को लेकर सरकार ऑप्शन ढूंढ रही थी. शायद कुछ रास्ता निकल आए. रुपयों के लेनदेन जैसी बात नहीं थी. मानवेंद्र ने बिना नाम लिए एक राज्यसभा सांसद पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि 'लाल सूटकेस ले जाने जैसी कोई बात नहीं थी. एक राज्य सभा सांसद ने इस तरह की बातों को हवा दी. उसके बाद से ही लाल सूटकेस को लेकर आलोचना की जा रही है.

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मानवेंद्र सिंह ने कहा कि 'मैं खुद पिताजी को एयरपोर्ट छोड़ने गया था. एक ब्रीफकेस वो हमेशा अपने साथ रखते थे, जिसमें पूजा की सामग्री और माला वगैरह हुआ करता था. वो ब्रीफकेस भी वो उस दिन नहीं लेकर गए थे. कहने वाले कुछ भी कहेंगे.

जिम्मेदार थे तीनों मंत्रालय- मानवेंद्र सिंह  

मानवेंद्र सिंह ने कहा कि IC 814 यात्री विमान के हाइजैक होने के बाद जब यात्री विमान को आतंकी कंधार ले गए, तब कंधार की ओर से आतंकियों की रिहाई की मांग के साथ किसी कैबिनेट मंत्री को भी समझौता करार के लिए कंधार बुलावा आया. उस वक्त कोई इस तरह की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था. विदेश मंत्री रहते हुए दाता (जसवंतसिंह जसोल) ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. यही धर्म था. 

कोई और भी ले सकता था जिम्मेदारी- मानवेंद्र सिंह जसोल

मानवेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक यात्री विमान अमृतसर में था, तब तक विदेश मंत्रालय का कोई रोल नहीं था. ये नगरीय उड्डयन की जिम्मेदारी थी. विमान के साथ अगर देश के नागरिक अपहृत थे. ये आंतरिक सुरक्षा के चलते गृह विभाग की जिम्मेदारी बनती थी. विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी तो तब बनी जब विमान पाकिस्तान और फिर दुबई पहुंचा. मानवेंद्र सिंह ने कहा कि दुबई में विमान मिलिट्री एयर स्टेशन पर लैंड हुआ था.

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भारत ने दुबई पर काफी दबाव भी बनाया. इसी वजह से महिलाओं और बच्चों को दुबई में रिहाई भी मिली, लेकिन भारत का कुछ दबाव ही काम आया. हमारा एक विमान हवा में ही था. अगर दुबई में ही ऑपरेशन की परमिशन मिलती तो शायद भारत को आतंकियों को छोड़ना नहीं पड़ता. देश के नागरिकों की सुरक्षा से बड़ा भारत के लिए उस वक्त कुछ नहीं था.

 

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पीएम आवास के बाहर हो रहे थे प्रदर्शन

मानवेंद्र ने कहा कि जब IC 814 यात्री विमान के हाइजैक की खबर फैली तो यात्रियों के परिजनों ने पीएम आवास के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया था. कितना मुश्किल वक्त था. दिन में सड़कों पर प्रदर्शन और रात में यात्रियों के परिजनों की फोन पर घंटियां बजती थीं. मीडिया भी सरकार से जवाब मांग रही थी. जवाब देना मुश्किल हो गया था. लगातार सरकार पर दबाव बढ़ रहा था. सरकार ऑप्शन तलाश रही थी कि कैसे भी विमान समेत क्रू मेंबर और यात्रियों को सकुशल भारत वापस लाया जा सके.

मानवेंद्र सिंह का दावा- पहली लिस्ट में थे 105 से 107 नाम 

मानवेंद्र सिंह जसोल ने बड़ा दावा करते हुए बताया कि हाइजैकर की  ओर से जो आतंकियों की पहली सूची दी गई थी. उसमें 105 से 107 आतंकियों के नाम थे. ये सब पाकिस्तान से ताल्लुक रखते थे. दूसरी सूची में जम्मू कश्मीर के एक आतंकी का नाम जोड़ा गया. सरकार ने उनकी डिमांड को निचले स्तर पर लाने के लिए वार्ताओं का दौर जारी रखा. आखिरकार मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को छोड़ने पर सहमति बनी. उन तीनों को भारत को छोड़ना पड़ा, क्योंकि नागरिकों की सुरक्षा से ज्यादा सरकार के लिए उस वक्त कुछ नहीं था.

हाईजैक के दिन ही घर में हुआ था बेटी का जन्म- मानवेंद्र 

मानवेंद्र सिंह ने कहा कि जिस दिन IC 814 यात्री विमान हाइजैक हुआ था, उसी दिन मेरे घर बेटी का जन्म हुआ था. बेटी के जन्म की खुशियों के बीच जब इस तरह की खबर सुनी तो दाता (जसवंतसिंह जसोल) समेत पूरा परिवार शॉक्ड हो गया. दाता चेहरे से बड़े गंभीर नजर आते थे. हमसे इस घटना के बारे में ज्यादा बात नहीं करते थे. विमान हाइजैक की खबर के पहले घंटे से लगाकर पूरे 7 दिन कैसे गुजरे ? उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. 

पिताजी के शब्दों को मैं भूल नहीं सकता

मानवेंद्र सिंह जसोल ने कहा कि विमान का अपहरण हो गया था, लेकिन मुझे इसकी जानकारी नहीं थी. बेटी का जन्म हुआ था तो मैं अस्पताल में था. अस्पताल से घर लौटा ही था और सोचा कि पिताजी और परिवारजन घर में ही होंगे. घर पहुंचा तो पिताजी घर के मुख्य द्वार से निकल ही रहे थे. मैंने अकस्मात पिताजी से पूछ लिया कि 'पिताजी आज इतनर जल्दी निकल रहे हैं ? तब पिताजी ने आसमान की तरफ देखकर कहा कि एक विमान का अपहरण हो गया है, पता नहीं वह लोग उसे कहां ले जा रहे हैं ?

मानवेंद्र ने कहा कि 24 दिसंबर का वो दिल्ली का प्रदूषित आसमान, बादल तो नहीं थे, लेकिन पिताजी आसमान की तरफ देख रहे थे. पिताजी की बातें आज भी मुझे याद हैं, जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता.

नाम बदले हैं, पर सुना है फिल्म अच्छी बनाई है- मानवेंद्र सिंह

मानवेंद्रसिंह जसोल ने हाइजैकर के नाम बदले जाने के विवाद को लेकर कहा कि 'मैंने सीरीज देखी नहीं है. कितना सही है, गलत है, मैं कुछ कह नहीं सकता. जिन लोगों ने देखी है और मुझे उसके बारे में जो बताया है, उस हिसाब से अच्छी बनी है. 
 

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