कर्नाटक की जीत के बाद राजस्थान में खड़गे की एंट्री, पायलट-गहलोत को साथ लाने की रणनीति तैयार!
Rajasthan Election 2023: कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से पार्टी में खुशी की लहर है. अब कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में चल रही नाराजगी को दूर करने के साथ आने वाले चुनावों की रणनीति पर काम करेगा. 13 मई को आए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर राजस्थान के लिए बेहद खास होने वाला है. […]
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Rajasthan Election 2023: कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से पार्टी में खुशी की लहर है. अब कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में चल रही नाराजगी को दूर करने के साथ आने वाले चुनावों की रणनीति पर काम करेगा. 13 मई को आए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर राजस्थान के लिए बेहद खास होने वाला है.
कर्नाटक और हिमाचल में शानदार वापसी के बाद पार्टी की नजर अब तीन राज्यों ( मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ) पर है. जाहिर है हिमाचल और कर्नाटक में एक जुटता का अच्छा रिजल्ट मिलने के बाद अब आलाकमान इसी फॉर्मुले के साथ इन राज्यों में काम करेगा.
गहलोत के दिमाग में 25 सिंतबर की घटना
देखा जाए तो कथित रूप से गहलोत के दिलों-दिमाग में 25 सितंबर की घटना आज भी दर्ज है, जब सीएलपी में गहलोत गुट ने सरेआम बगावत की थी. माना जा रहा है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनने से इनकार करने के लिए खुद को कोस रहे होंगे, क्योंकि उनके लिए अध्यक्ष पद के नामांकन के लिए 12 सेट पहले तैयार कर लिए गए थे. अब गहलोत सितंबर की घटना के आठ महीने बाद खुद को खड़गे के रहमोकरम पर ही पाते हैं. 25 सिंतबर की घटना के बाद गहलोत और सोनिया गांधी के बीच नाराजगी देखने को मिली थी.
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खड़गे को गांधी परिवार की तिकड़ी का समर्थन
वहीं खड़गे को गांधी परिवार की तिकड़ी (सोनिया, राहुल और प्रियंका) का पूरा समर्थन प्राप्त है, अब खड़गे कथित तौर पर गहलोत और पायलट को बुलाने की योजना बना रहे हैं. बताया जा रहा है कि वह दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए रोडमैप प्रस्तुत करने के लिए गहलोत और पायलट को बुलाने की योजना पर काम कर रहे हैं.बना रहे हैं, वहीं अलाकमाने के आंतरिक सर्व में पार्टी की निराशाजनक तस्वीर आई है. जो चिंता को बढ़ाने वाली है.
पायलट ठुकरा चुके ऑफर
बीते दिनों पहले वसुंधरा सरकार के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर पायलट धरने पर बैठे. उसके अगले दिन उन्होंने दिल्ली में वरिष्ठ नेता कमलनाथ और वेणुगोपाल से मुलाकात कर अपनी बातें रखी. इस गतिरोध को खत्म करने के पायलट को एआईसीसी महासचिव बनाए जाने और उन्हें CWC में जगह देने के पेशकश की गई. जबकि कथित तौर पर पायलट इसे स्वीकार करने से इनकार कर चुके हैं.
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ये है खड़गे का प्लान B
हालांकि, खड़गे के प्लान बी के कारण गहलोत को कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इस प्लान के तहत पायलट को प्रदेश अध्यक्ष का पद देने का प्लान किया गया है. जानकार सूत्रों का कहना है कि पायलट इसके खिलाफ नहीं है क्योंकि विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की निर्णायक भूमिका रहती है.
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ऐसे में मई या जून की शुरूआत में गहलोत पर सख्ती के चलते किसी तरह का प्रदर्शन देखने को मिल सकता है. गहलोत खेमा उम्मीद कर रहा है कि पायलट 11 जून को अपने पिता की पुण्यतिथि पर अलग पार्टी बना लेंगे. वहीं पायलट के करीबी सूत्र इस तरह की बातों से इनकार कर रहे हैं.
अनुशासन को प्राथमिकता देंगे खड़गे
खड़गे के करीबी सूत्रों ने मानें तो वह पार्टी में अनुशासन को प्राथमिकता देंगे. वह उम्मीद कर रहे हैं कि गहलोत और पायलट दोनों ‘Congress first’ के मोटो का पालन करेंगे, जिसका अर्थ है खड़गे द्वारा दिए गए निर्देशों को स्वीकार करना. इस लिहाज से खड़गे को गांधी तिकड़ी पर भरोसा है कि राजस्थान के लिए कार्रवाई करने के लिए स्वंतत्र होंगे. फिलहाल गहलोत इस साल नवंबर-दिसंबर तक मुख्यमंत्री के रूप में अपने बने रहने को लेकर आश्वस्त हैं.
स्टोरी: रशीद किदवई
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