‘फडणवीस’ बनकर भी क्यों चुप हैं सतीश पूनिया, बीजेपी में आलाकमान को आंख दिखाना असंभव! जानें

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There is no opposition to the high command in BJP, Poonia is silent even after being ‘Fadnavis’!
राजस्थान में एक तरफ बीजेपी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस। बीजेपी है कि बड़े से बड़ा फैसला भी लेती है तो किसी को पता नहीं तक नहीं चलता, फैसला आने के बाद बीजेपी का गेम समझ आता है और कांग्रेस है कि छोटे से छोटा फैसला भी बिना सरफुटउल के नहीं कर पाती। जब तक कांग्रेस में एक दो नेता एक दूसरे के खिलाफ ना बोल लें उनका जी नहीं भरता। और इसका खामियाजा कांग्रेस को बार-बार उठाना पड़ता है। मसलन 25 सितंबर को जयपुर में जो कुछ भी हुआ, धारीवाल के घर विधायकों की लॉबिंग की कोशिश हुई और इसके बाद जो आग लगी उसका धूंआ आज तक उठ रहा है।
25 सितंबर वाले ड्रामे को हेमाराम चौधरी नहीं भूले हैं और नहीं भूले हैं पायलट कैंप को धोखा देने की गहलोत गुट की कोशिशें। इधर गहलोत गुट के अंदर भी आग बराबार की लगी है.. मानेसर काण्ड के जख्म गहलोत गुट के लिए आज भी हरे हैं। न शांति धारीवाल और ना ही रामलाल जाट भूले हैं 2019 में क्या हुआ था। अब दोनो तरफ की ये तनातनी राजस्थान में कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गई है। ना निगले जा रहा है और ना उगले।
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इधर बीजेपी में केंद्रीय आलाकमान इतना टाइट है झगड़ा-झंझट तो दूर, कोई किसी के खिलाफ बयान तक नहीं देता। गुटबाजी जरूर है, हर पार्टी में होती है लेकिन जब पार्टी लाइन की बात होती है तो सब एक साथ खड़े रहते हैं। और चुनावों में बीजेपी को इसका भी बड़ा फायदा मिलता है।
सतीश पूनिया आपना कद घटाए जाने के बाद भी चुप हैं, दिल में जो भी हो पर जुबां पर किसी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं है। ना राजेंद्र राठौड़, ना महारानी और ना ही किसी और के लिए।
कुछ वक्त पहले जब महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार खतरे में आई तो तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को डिमोट करके बीजेपी ने डिप्टी सीएम बना दिया। तब देवेंद्र फड़नवीस भी पूनिया की ही तरह चुप रहे। पार्टी या किसी नेता के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोले और जो भी मिला उसे स्वीकार किया।
There is no opposition to the high command in BJP, Poonia is silent even after being ‘Fadnavis’!