फोटो: एमपी टूरिज्म
मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर से कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स जुड़े हुए हैं.
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जब मुगल आक्रांता औरंगजेब ने हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त करना शुरू किया था, तब इस मंदिर में उसे हार माननी पड़ी थी.
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70 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में योगनियों के साथ गौरी-शंकर की प्रतिमा विराजमान है.
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कहा जाता है कि जब औरंगजेब आक्रमण के लिए मंदिर के भीतर घुसा, तब वह दैवीय चमत्कारकों को देखकर वापस लौट गया.
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औरंगजेब ने मूर्तियों पर तलवार से हमला किया, जब बगल से वार करने पर मूर्तियां नहीं टूटी तो उसे सामने से तलवार चलानी पड़ी.
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मान्यता है कि जबलपुर का चौसठ योगिनी मंदिर शिव-पार्वती विवाह की प्रतिमा वाला एकमात्र मंदिर है.
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इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में कल्चुरी राजवंश के राजा युवराजदेव प्रथम ने करवाया था.
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प्राचीनकाल में चौसठ योगिनी मंदिर तंत्र साधना का भी केंद्र माना जाता था. यहां तंत्र विद्या सीखने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे.
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जबलपुर की तरह ही एमपी के मुरैना में भी चौसठ योगिनी मंदिर है. कहते हैं संसद भवन की डिजाइन इन्हीं मंदिरों से प्रेरित है.
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