भगवान महाकाल पर विदेशी और मुस्लिम आक्रांताओं ने मंदिर पर कई बार हमले किए और नष्ट करने की कोशिश की.
फोटो- एमपी तक
इतिहासकारों के मुताबिक, सन 1235 में महाकालेश्वर मंदिर को दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था.
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महाकाल ज्योतिर्लिंग को आक्रांताओं से सुरक्षित रखने लिए करीब 550 वर्षों तक पास ही के एक कुएं में छुपाया रखा.
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ग्वालियर राजवंश के संस्थापक राणोजी सिंधिया ने अपनी राजधानी उज्जैन में भगवान महाकाल मंदिर की ये दुर्दशा देखी तो वो व्यथित हो गए.
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मराठा शूरवीर राणोजी राव सिंधिया ने मुग़लों को पराजित कर अपना शासन 1732 में उज्जैन में स्थापित किया था.
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राणोजी सिंधिया ने खुद उज्जैन में ही रूककर महाकाल मंदिर का जीर्णोधार कराया और उज्जैन में दोबारा सिंहस्थ (कुंभ) की शुरुआत कराई थी.
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विदेशी आक्रांताओं से बचाने के लिए भगवान महाकाल शिंवलिंग कोटि तीर्थ कुंड में छिपा दिया गया था. कुंड से शिवलिंग को निकालकर मंदिर में स्थापित कराया था.
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राणोजी सिंधिया ने सावन में महाकाल की सवारी की शुरुआत भी कराई थी, तब से ये परंपरा आज भी जारी है. भगवान महाकाल जनता का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं.
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आज राणोजी राव सिंधिया की पुण्यतिथि पर उनके वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर उनको नमन किया.
इस बार सावन में भगवान महाकाल ऐसे कर देंगे भक्तों को निहाल