Akhilesh Yadav Nomination: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है. सपा ने पहले इस सीट से सैफई परिवार के सदस्य और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव का टिकट काट दिया था. तेज प्रताप पहले मैनपुरी सीट से सांसद रह चुके हैं. इस बात को लेकर पहले भी चर्चा थी कि इस सीट से अखिलेश यादव चुनाव लड़ सकते हैं.
ADVERTISEMENT
अखिलेश यादव ने नामांकन दाखिल करने से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया था जिसमें इतिहास दोहराने की बात लिखी थी. आइए जानते हैं अखिलेश यादव ने इसी सीट से मैदान में उतरने का निर्णय क्यों लिया.
डिंपल भी इस सीट से पहुंची थी लोकसभा
साल 1999 से 2019 तक कन्नौज सीट पर मुलायम परिवार का ही कब्जा रहा है. बता दें कि इससे पहले तीन बार अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी पेश की थी. अखिलेश यादव साल 2000 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार सांसद चुने गये थे. उसके बाद वह 2004 और 2009 में भी इसी सीट से सांसद रहे. 2012 में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे जिसके बाद ये सीट खाली हो गई थी.
कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल निर्विरोध चुनी गयी थीं. साल 2014 के आम चुनाव में भी डिंपल ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी. हालांकि साल 2019 के चुनाव में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गई थीं.
सुब्रत पाठक से होगी अखिलेश की भिड़ंत
सुब्रत पाठक कन्नौज सीट से सांसद हैं. बीजेपी ने इस सीट पर उन्हीं को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 5 सालों में समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जानी वाली इस सीट पर जबरदस्त सेंधमारी की है. इसी लोकसभा सीट के दायरे में आने वाली 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. कन्नौज में 16 फीसदी यादव और 16 फीसदी मुसलमान आबादी है. 15 फीसदी ब्राह्मण और 10 फीसदी राजपूत आबादी इस सीट पर हैं. इनके अलावा 39 फीसदी अन्य आबादी है. इसमें ज्यादा आबादी दलितों की है.
अखिलेश यादव के इस सीट से पर्चा दाखिल करने के बाद यहां का मुकाबला दिलचस्प हो गया है. अब देखना होगा कि अखिलेश यहां से चौथी बार सांसद बनेंगे या फिर बीजेपी के सुब्रत पाठक इसपर लगातार अपनी दूसरी जीत दर्ज करेंगे.
ADVERTISEMENT