Supreme Court on VVPAT: सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ सभी वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की सभीपर्चियों के मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. बुधवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने EVM- VVPAT मामले में इस तकनीक से जुड़े चार- पांच और बिंदुओं पर जानकारी मांगी और निर्वाचन आयोग के अफसरों को दोपहर दो बजे बाद बुलाया था.
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इस सुनवाई के बाद जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दत्ता की पीठ ने कहा कि, 'हम चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते, हम किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकरण के कामकाज को नियंत्रित नहीं कर सकते. ECE ने संदेह दूर कर दिया है. हम आपकी विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते, हम ये नहीं कर सकते कि सिर्फ संदेह के आधार पर सुप्रीम ऑर्डर जारी कर दें.'
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं. हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं. हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए. फैसला सुरक्षित रख रहे हैं.
याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि, 'ईवीएम में प्रोसेसर चिप सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम कर सकती है, इस पर संदेह है.
सुप्रीम कोर्ट ने इन चार सवालों पर मांगा था जवाब
1) नियंत्रण इकाई या वीवीपैट में क्या माइक्रो कंट्रोलर स्थापित है?
2) माइक्रो कंट्रोलर क्या एक ही बार प्रोग्राम करने योग्य है?
3) मशीन में सिंबल लोडिंग इकाइयाँ कितने उपलब्ध हैं?
4) चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि आपके अनुसार 30 दिन है और इस प्रकार स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है.
जानिए क्या थी मांग?
चुनाव प्रणाली में वोटर्स की संतुष्टि और विश्वास के महत्व को रेखांकित करते हुए, कोर्ट ने कहा कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ताओं को EVM के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की जरूरत नहीं है. याचिकाकर्ताओं में से एक, एनजीओ 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (ADR) ने VVPAT मशीनों पर पारदर्शी ग्लास को अपारदर्शी ग्लास से बदलने के चुनाव पैनल के 2017 के फैसले को उलटने की मांग की, जिसके माध्यम से एक मतदाता केवल तभी तक (सात सेंकेड) पर्ची देख सकता है जब रोशनी चालू है.
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