जंगलों में है डाकू रनिया का अड्डा, डकैती-लूट के 54 मुकदमे, राजस्थान ही नहीं, गुजरात में भी है दहशत!

Udaipur’s Raniya Gang: राजस्थान के शांत शहरों में से एक उदयपुर में इन दिनों रनिया डाकू ने पुलिस की नींद उड़ा रखी है. सैकड़ों पुलिसकर्मी लगातार राजस्थान ही नहीं, बल्कि गुजरात के जंगलों में दबिश दे रहे है. पुलिस को तलाश है रनिया और उसके बेटे खातरू-जाला की, लेकिन फिलहाल उसका कोई सुराग हाथ नहीं […]

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Satish Sharma

• 11:21 AM • 02 May 2023

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Udaipur’s Raniya Gang: राजस्थान के शांत शहरों में से एक उदयपुर में इन दिनों रनिया डाकू ने पुलिस की नींद उड़ा रखी है. सैकड़ों पुलिसकर्मी लगातार राजस्थान ही नहीं, बल्कि गुजरात के जंगलों में दबिश दे रहे है. पुलिस को तलाश है रनिया और उसके बेटे खातरू-जाला की, लेकिन फिलहाल उसका कोई सुराग हाथ नहीं लगा है. उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य मांडवा क्षेत्र के कूकावास गांव का रहने वाले इस शातिर अपराधी के खिलाफ 54 मुकदमे दर्ज है. जिसमें डकैती, लूट, हत्या, चोरी और मारपीट के मामले शामिल है.

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करीब 4 महीने पहले ही रणिया जेल से बाहर आया था. इसके बाद 27 अप्रैल को थानाधिकारी समेत 7 पुलिसकर्मियों पर हमले के कारण वो फिर चर्चा में है. मांडवा पुलिस के साथ 27 अप्रैल को शाम करीब 7 बजे थानाधिकारी उत्तम सिंह बदमाश रनिया को पकड़ने उसके गांव कुकवास पहुंचे थे. इस दौरान उसका बेटा जाला पकड़ में भी आ गया. पुलिस को उसे गाड़ी में पकड़कर ले जाने लगी कि वहां मौजूद रनिया ने दर्जनों ग्रामीणों के साथ जमकर पथराव किया.

पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुए हवाई फायर और लाठी-भाटा जंग में 7 पुलिसकर्मी घायल हो गए. इसके बाद सभी बदमाश पुलिस से एक पिस्टल और रायफल लेकर गांव से भाग निकले. इसके बाद से पुलिस की 5 टीमें लगातार रणिया की तलाश कर रही है. वही पुलिस ने इस गैंग के शातिर अपराधी सरवन को सोमवार गिरफ्तार किया है.

आदिवासी इस वजह से मानते हैं रोबिनहुड! 
दरअसल, यह डाकू साल 1995 से आदिवासी इलाकों में लूट और डकैती की वारदातों को देता था. इसके बाद उसने इसी रोड़ पर इन घटनाओं को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं के साथ एक गैंग बनाई. इस गैंग में ज्यादातर उसके आसपास के ग्रामीणों के साथ उसके करीबी रिश्तेदार भी शामिल हुए. इसके बाद गैंग के गुर्गे रोजाना सड़कों पर गुजरने वाले लूट की वारदात को अंजाम देते है. कई बार आसपास के इलाकों में बड़े कस्बों में दुकानों या ज्वेलर्स के यहां डकैती भी करते.

वह मुख्य तौर पर उसके इलाके के धन्ना सेठों को ही अपना निशाना बनाता. इसके बाद वो लूटी हुई रकम या अनाज को गैंग के साथ ही पूरे गांव में बांट देता. रनिया की गैंग कभी किसी गरीब या आदिवासी किसान के साथ कोई लूट-पाट नहीं करती. यही वजह है कि रनिया कोटड़ा और मांडवा के आसपास के इलाके में प्रभाव रखने लगा. आदिवासियों में उसकी रॉबिनहुड टाइप की छवि बनी गई थी. जब भी उसको पकड़ने कोई पुलिस आती तो पूरा गांव उसका साथ देता. उसको भागने में ग्रामीण पुलिस पर पथराव करने से भी नहीं चूकते.

20 साल पहले भी पुलिसकर्मी के साथ मारपीट कर छीन ली थी रिवॉल्वर 
यह गैंग साल 2000 में सबसे पहले चर्चा में आई. जब रनिया और गुलिया ने तत्कालीन थानेदार तगाराम की वर्दी और सर्विस रिवॉल्वर छीन ली थी. इसके बाद उन्होंने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की थी. लंबी फरारी के बाद दोनों को गिरफ्तार किया जा सका था. इसके बाद गैंग के गुर्गों ने 2017 में भी पुलिस पर फायरिंग की थी. हालांकि रनिया के जेल जाने के बाद गैंग ज्यादा सक्रिय नहीं रही. उसके बेटे कई गुर्गों के साथ छोटी-मोटी लूट की वारदातों को अंजाम देते रहे है. 4 महीने रनिया जेल से छूटने के बाद से फिर अपनी गैंग को एक्टिव कर रहा था।

जंगलों के रास्ते से भी बखूबी वाकिफ है डाकू, पुलिस को देता है चकमा
रनिया बेहद कम पढ़ा शातिर अपराधी है. वो हथियार के बजाय पारंपरिक हथियारों के साथ वारदात को अंजाम देता है. दौड़ने-भागने में भी काफी तेज इस डाकू ने जेल में भी काफी मशक्कत करके खुद को फिट रखा. जानकारी के मुताबिक 50 साल की उम्र भी रनिया किसी नौजवान युवक की तरह जोशीला-फुर्तीला है. जंगलों में रहने और वहां के हर रास्ते से अच्छे वाकिफ बदमाश ने उदयपुर, सिरोही समेत गुजरात के अदिवासी इलाको में अपने मंसूबें पूरे किए.

उदयपुर एसपी विकास शर्मा ने बताया कि रनिया के गांव कुकवास में उसकी बस्ती में भी 10 घर है. जो सभी उसके रिश्तेदार है. वारदात के बाद इन सभी घरों से बदमाश बच्चे-महिलाओ को लेकर भाग गए. पुलिस सूत्रों की माने तो रनिया उदयपुर और सिरोही के बॉर्डर के जंगलों में छिपा हुआ है.

वो सभी रास्तों का जानकार है. इसके कारण अपने गैंग के साथ परिवार को भी ले गया. उस इलाके में पुलिसकर्मियों का पहुंचना बेहद मुश्किल है. इसके साथ ही पहाड़ियों और गुफाओं के चलते जंगली जानवरों का खतरा भी है, ऐसे में अन्य इलाकों में पुलिसकर्मी भी वहां जाने से बचते हैं.

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