राजस्थान के जोधपुर में नागौर से बीजेपी की उम्मीदवार ज्योति मिर्धा और उनकी बहन हेमश्वेता के खिलाफ धारा 420 सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है. इनके अलावा प्रेम प्रकाश मिर्धा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. ध्यान देने वाली बात है कि ज्योति मिर्धा पूर्व सांसद हैं और उनकी बहन राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा की पत्नी हैं.
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अनिल चौधरी के इस्तगासे के आधार पर ये केस दर्ज किया गया है. इसमें आदर्श प्रगतिशील गृह निर्माण सहकारी समिति के भूखंड विवाद में तीनों आरोपियों द्वारा फर्जीवाड़ा करने का आरोप है.
बेची गई जमीन में फर्जीवाड़े का मिला सबूत?
ज्योति मिर्धा के पिता राम प्रकाश मिर्धा ने जमीन बेची थी. जिसका भाव बढ़ने के बाद बटर वारिस ज्योति मिर्धा, हेमश्वेता मिर्धा और प्रेम प्रकाश मिर्धा ने विक्रय विलेख बनाए जो 23 मई 1988 और 11 अक्टूबर 1989 का बताया गया. इसमें एक मोबाइल नंबर भी अंकित किया गया, जबकि उस समय मोबाइल का प्रचलन नहीं था.
ध्यान देने वाली बात है कि ज्योति मिर्धा और उनकी बहन ने अगस्त 2021 में अपने चाचा भानुप्रकाश मिर्धा, पूर्व मंत्री उषा पूनिया, उनकी दो बेटियों सहित 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें इन 13 लोगों पर उनके पिता की भूमि का फर्जी तरीके से बेचाननामा करने का आरोप लगाते हुए चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाने में एफआईआर की गई थी. मामले में13 आरोपियों ने राजस्थान हाईकोर्ट में मामले को खारिज करवाया. उसके बाद ज्योति मिर्धा व अन्य सुप्रीम कोर्ट गए. यहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई.
इसके बाद उषा पूनिया, अनिल चौधरी व अन्य ने ज्योति मिर्धा सहित तीन के खिलाफ अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 6 की अदालत में इस्तगासे पेश किया. जिसपर कोर्ट ने उदय मंदिर थाने को मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए थे.
ऐसे बढ़े जमीन के रेट
जोधपुर के चौपासनी क्षेत्र में करीब पचास बीघा क्षेत्रफल में मिर्धा फार्म हाउस स्थित है. नाथूराम मिर्धा यहां पर पर रहा करते थे. उनके दौर में यह क्षेत्र जोधपुर शहर से बाहर था. शहर के विस्तार के साथ यह शहरी सीमा में आ गया. नाथू राम मिर्धा के दौर में यह क्षेत्र जोधपुर शहर से बाहर था. शहर के विस्तार के साथ यह शहरी सीमा में आ गया. इस कारण इस जमीन के दाम बहुत अधिक बढ़ गए.
ये है वो पूरा मामला
ज्योति के चाचा का आरोप था कि 1988 में उसके चाचा भानु प्रकाश ने फार्म हाउस की चार बीघा भूमि भंवरलाल को बेच दी. भंवरलाल ने इस भूमि पर कॉलोनी काटने का फैसला किया. जो हिस्सा बेचा गया वह रामप्रकाश मिर्धा के हिस्से का था. राम प्रकाश मिर्धा की 22 जुलाई 1993 को मौत हो गई. इसके बाद ज्योति मिर्धा की मां वीणा देवी संपत्ति की वारिस बनीं. उनकी मौत के बाद दोनों बेटियां ज्योति व हेमश्वेता वारिस बनी. ज्योति मिर्धा ने आरोप लगाया था कि उनकी पिता की मृत्यु से पहले चाचा भानू प्रकाश ने कृषि भूमि का आवासीय में परिवर्तित करवा लिया. 2018 के अंत में न्यायालय के समक्ष बंटवारे के दावे के दौरान इस फर्जीवाड़े की जानकारी उन्हें प्राप्त हुई थी. जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन इस एफआईआर को पहले हाईकोर्ट व बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब जोधपुर कमिश्नरेट की उदय मंदिर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
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