बिहार में जीविका और आंगनबाड़ी का अनोखा गठजोड़, 52 लाख बच्चों को मिलेगा नया पोशाक

Bihar News: बिहार में जीविका और आंगनबाड़ी के बीच हुआ अनोखा गठजोड़, 52 लाख बच्चों को मिलेंगे नए पोशाक और जीविका दीदियों को मिलेगा घर बैठे रोजगार.

Jivika-Anganwadi Uniform Scheme Bihar 2025
फोटो क्रेडिट- @brlps_jeevika

न्यूज तक

• 04:43 PM • 02 Jul 2025

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Bihar News: बिहार के लाखों बच्चों और जीविका दीदियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी. अब आंगनबाड़ी के 52 लाख बच्चों को हर साल दो सेट नए पोशाक मिलेंगे, और यह जिम्मा जीविका दीदियों को सौंपा गया है. मंगलवार को पटना में जीविका और समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ, जो न केवल बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएं लाएगा, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाएगा. यह पहल बिहार के विकास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है.

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ऐतिहासिक एमओयू, नया अवसर

पटना के होटल मौर्या में जीविका और आईसीडीएस के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए. जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा और आईसीडीएस निदेशक अमित कुमार पाण्डेय ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस पहल के तहत बिहार के 1,15,009 आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले 3 से 6 साल के 52 लाख बच्चों को हर साल गर्मी और सर्दी के लिए दो सेट पोशाक मिलेंगे.

जीविका दीदियों को आर्थिक ताकत

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि इस योजना से जीविका दीदियों को बड़ा फायदा होगा. राज्य के 534 ब्लॉकों में 100 मशीनों वाले सिलाई सेंटर खोले जाएंगे. अभी तक 20 लाख जीविका दीदियां लखपति बन चुकी हैं, और 48,232 महिलाओं के पास अपनी सिलाई मशीनें हैं, जबकि 92,608 मशीनों पर काम चल रहा है. यह योजना 200 करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर लाएगी, जिससे दीदियों की आय बढ़ेगी.

आंगनबाड़ी में नया लुक

समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि जीविका दीदियां न केवल बच्चों के लिए पोशाक बनाएंगी, बल्कि एक लाख से अधिक आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं की साड़ियां भी तैयार करेंगी. समाज कल्याण विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी ने बताया कि पहले बच्चों को पोशाक के लिए 250 रुपये मिलते थे, जिसे बढ़ाकर 400 रुपये किया गया. अब जीविका दीदियों द्वारा सिले कपड़े बच्चों को मिलेंगे, जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों का लुक बदलेगा.

डोर स्टेप रोजगार और बेहतर भोजन

ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि इस योजना से जीविका दीदियों को घर बैठे रोजगार मिलेगा. जरूरत पड़ने पर वे बैंक से ऋण भी ले सकेंगी. साथ ही, आंगनबाड़ी केंद्रों में अब खिचड़ी की जगह मेन्यू के अनुसार अलग-अलग भोजन परोसा जा रहा है, जो बच्चों के पोषण को बेहतर बनाएगा.

बिहार के लिए गर्व का पल

यह एमओयू बिहार के ग्रामीण विकास और बच्चों के कल्याण की दिशा में एक बड़ा कदम है. जीविका दीदियों की मेहनत और इस योजना से न केवल आंगनबाड़ी के बच्चे नई पोशाक में नजर आएंगे, बल्कि ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी. यह बिहार के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक और कदम है.

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