बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. चुनाव दो चरणों में होंगे 6 और 11 नवंबर को, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी. इसके बाद से राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है. पटना से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है. खासकर एनडीए (NDA) गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर मंथन जोरों पर है.
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दरअसल चुनाव के इतने नजदीक आकर भी अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन में कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा. इसी सिलसिले में आज दिल्ली में एनडीए की एक अहम बैठक हो रही है. इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), हम और आरएलएसपी जैसे घटक दलों के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं.
कई नेता हो चुके हैं दिल्ली रवाना
बैठक में शामिल होने के लिए बिहार से कई नेता दिल्ली रवाना हो चुके हैं. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, संजय झा, ललन सिंह और बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान दिल्ली पहुंच चुके हैं. इनके अलावा बीजेपी के विनोद तावड़े, सम्राट चौधरी, दिलीप जैसवाल, ऋतुराज सिन्हा और मंगल पांडे पहले ही दिल्ली में मौजूद हैं. एलजेपी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान भी पहले से दिल्ली में हैं और उन्होंने आज अपनी पार्टी का सेंट्रल पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक भी बुलाई है.
क्या कहते हैं सूत्र?
सूत्रों की मानें तो एलजेपी (रामविलास) को गोविंदगंज सीट देने पर सहमति बन गई है, लेकिन ब्रह्मपुर सीट को लेकर बीजेपी तैयार नहीं है. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा दो सीटों पर जोर दे रहे हैं बाजपट्टी और शेखपुरा, जिन पर जेडीयू भी दावा कर रही है. इन पर सहमति बनना बाकी है.
जीतन राम मांझी भी सीटों की संख्या को लेकर नाराज हैं. बताया जा रहा है कि उन्हें सात सीटों से ज्यादा नहीं मिल रही हैं, जिससे वे असंतुष्ट हैं. मांझी बीजेपी के शीर्ष नेताओं से बात करने की तैयारी कर रहे हैं.
आज की बैठक क्यों है अहम?
एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है. सभी दलों को संतुष्ट करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. आज ही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश और केंद्रीय नेताओं के बीच अलग से भी बातचीत होगी.
अब देखना ये होगा कि इस बैठक के बाद सीट बंटवारे की तस्वीर कितनी साफ होती है. क्या एनडीए के सभी सहयोगी दल एकमत होकर चुनाव मैदान में उतरेंगे या फिर चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर करेंगे?
बिहार चुनावी मोड में है और हर दल अपनी-अपनी रणनीति बिछा रहा है. जनता की नजरें अब इस बैठक के नतीजों पर टिकी हुई हैं.
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