बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ गए हैं. इस चुनाव में एनडीए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दोबारा सत्ता हासिल कर ली जबकि महागठबंधन कई जिलों में अपना खाता भी नहीं खोल पाया.
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15 जिलों में महागठबंधन का शून्य प्रदर्शन
राज्य के 15 जिले ऐसे रहे जहां महागठबंधन पूरी तरह साफ हो गया. इनमें शामिल हैं- गोपालगंज, सिवान, औरंगाबाद, जहानाबाद, नवादा, गया, कैमूर, भोजपुर, बक्सर, सारण, पश्चिम चंपारण, नालंदा, मधुबनी, सुपौल और रोहतास.
इन सभी जिलों की सीटें बीजेपी, जेडीयू, हम और लोजपा जैसे एनडीए के दलों ने जीतीं. कई जगह MGB उम्मीदवार दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन जीत उनसे दूर रही.
कैसे मिली एनडीए को बड़ी जीत?
इस बार एनडीए ने चुनावी तैयारी बेहद सटीक तरीके से की.
- सीट बंटवारे से लेकर प्रचार तक, बीजेपी और जेडीयू ने एकजुट होकर रणनीति बनाई.
- कई जिलों में बीजेपी का मजबूत संगठन और जेडीयू के स्थानीय कार्यकर्ताओं का जमीनी नेटवर्क मिलकर असर दिखाता नजर आया.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, नीतीश कुमार की 'विकास और शांति' वाली छवि और गांव-गांव तक पहुंची सरकारी योजनाओं ने लोगों को प्रभावित किया.
शहरी और मध्यम वर्ग का भरोसा बीजेपी को मिला जबकि जेडीयू को महिलाओं और पिछड़े वर्गों का बड़ा समर्थन प्राप्त हुआ. दोनों दलों का यह संतुलन विपक्ष पर भारी पड़ गया.
महागठबंधन क्यों पिछड़ गया?
नतीजे बताते हैं कि MGB इस बार मतदाताओं से जुड़ने में सफल नहीं हो पाया. कई क्षेत्रों में संगठन कमजोर दिखा और वोटरों के मुद्दों को पकड़ने में भी चूक हुई. इसका सीधा फायदा एनडीए को मिला.
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