बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले फेज के लिए 6 नवंबर को वोटिंग की प्रक्रिया हुई. इस चुनाव में ऐसे तो कई हॉट सीटें थी, लेकिन मोकामा सीट ऊपर रही और लोगों की नजरें टिकी हुई थी. इसके पीछे की दो वजहें है, पहला दो बाहुबली का आमना-सामना और दूसरा दुलारचंद यादव की हत्या. मोकामा हॉट सीट पर इस बार सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी और बाहुबली नेता अनंत सिंह चुनावी मैदान में थे. फिलहाल अनंत सिंह दुलारचंद यादव के हत्या के आरोप में जेल में है और वहीं से चुनाव लड़ रहे थे. इसी बीच हमारे संवाददाता ने मोकामा से एक पत्रकार मो कमाल उद्दीन से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने कई फैक्टर्स को बताया. आइए विस्तार से जानते है पूरी बात.
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मोकामा का चुनावी समीकरण?
मो कमाल ने बताया कि शुरुआत में मोकामा का समीकरण अलग था, क्योंकि उस समय पीयूष प्रियदर्शी राजद से चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे. लेकिन राजद ने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को यहां से कैंडिडेट बनाया और फिर समीकरण बदलने शुरू हो गया. फिर जब जन सुराज ने पीयूष प्रियदर्शी को उम्मीदवार अपनाया तो यह तीसरे मोर्चा के तौर पर सामने आया है और चुनावी रुख बदलना शुरु हो गया.
दरअसल पीयूष प्रियदर्शी धानुक समुदाय से आते हैं, जिसके वोटर पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार (जेडीयू) के साथ रहे हैं.पीयूष ने इस बड़े धानुक वोट बैंक में सेंध लगाना शुरू किया, जिससे जेडीयू के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा. वहीं तेजस्वी यादव ने भूमिहार बहुल क्षेत्र में सूरजभान सिंह की पत्नी वीना देवी को उतारकर भूमिहार वोट में सेंध लगाने का एक्सपेरिमेंट किया, जिससे की अनंत सिंह का वोट कटे और जदयू को नुकसान हो.
दुलारचंद यादव की हत्या ने बदला खेल
मोकामा में चुनाव से ठीक पहले 30 अक्टूबर को टाल के क्षेत्र में दुलारचंद यादव की हत्या ने चुनावी सिनेरियो को पूरी तरह बदल दिया. मो कमाल उद्दीन के अनुसार, वीणा देवी का दुलारचंद की शव यात्रा में शामिल होना और श्रद्धांजलि देना मोकामा में एक अजीब माहौल बनाया. इसके बाद यादव समाज के कुछ लोगों का भूमिहार समाज के विरोध में मुखर होना शुरू हुआ.
इस घटना के कारण एमवाई (MY) समीकरण और तेजस्वी के भूमिहार कैंडिडेटों के समीकरण पर असर पड़ा, और सूरजभान सिंह के पक्ष से कुछ भूमिहार वोट खिसक कर अनंत सिंह की ओर चले गए.उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह घटना नहीं घटती तो जीत-हार में बड़ा अंतर होता, लेकिन अब यह गैप घटकर नेक-टू-नेक फाइट में बदल गया है.
जीत का समीकरण
मतदान के बाद पत्रकार मो कमाल के मुताबिक यह मुकाबला इतना करीबी हो गया है कि परिणाम 10 से 15 हजार वोटों के अंतर पर टिक गया है. उन्होंने इसके पीछे की वजह पचपौनिया वोटर को बताया. उन्होंने कहा कि मोकामा बाजार के जो छोटे व्यापारी वर्ग और 'पचपौनिया' (छोटे समाज) वोटर चुप रहे हैं और लगभग वे ही जीत-हार का फैसला करेंगे.
साथ ही यह चुनाव जन सुराज के प्रदर्शन पर भी निर्भर करेगा. अगर जन सुराज को 5 से 10 हजार वोट मिलते हैं, तो इससे अनंत सिंह को फायदा हो सकता है. अगर जन सुराज का मत संख्या 10 हजार से ऊपर जाता है, तो इससे अनंत सिंह को नुकसान होना शुरू होगा.
यानी मोकामा में वीणा देवी और अनंत सिंह के बीच लड़ाई बेहद कड़ी हो गई है, और जीत का अंतर 10,000 वोटों से कम रहने की संभावना है. कौन जीतेगा, यह 14 तारीख को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा, क्योंकि जन सुराज ने भी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
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