Explainer: महिला वोट साधकर क्या नीतीश कुमार बिहार में करने जा रहे है बड़ा खेल?

महिलाओं के लिए चलाई जा रही आर्थिक सहायता योजनाएं उन्हें सशक्त बनाने के साथ-साथ सरकारों को चुनावी सफलता भी दिला रही हैं. ये योजनाएं खासकर ग्रामीण इलाकों में मजबूत महिला वोट बैंक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
बिहार विधानसभा चुनाव 2025

अलका कुमारी

10 Sep 2025 (अपडेटेड: 10 Sep 2025, 10:22 AM)

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Women Vote Bank: बिहार में चुनाव की बिसात बिछ चुकी है, लेकिन इस बार दांव पर सिर्फ कुर्सी ही नहीं बल्कि आधी आबादी का भरोसा भी है. दरअसल सीएम नीतीश कुमार ने प्रदेश की महिलाओं को लुभाने के लिए पिछले कुछ दिनों में जो एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले किए हैं. वो कोई इत्तेफाक नहीं, बल्कि सोची-समझी सियासी चाल है.

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रोजगार, पेंशन, सहारा और सम्मान, हर मोर्चे पर महिलाओं को आगे रखकर सीएम नीतीश जो ‘खेल’ खेलना चाह रहे हैं उससे चुनाव का पासा पलट सकता है.

वैसे तो ये पहली बार नहीं है. नीतीश कुमार पहले भी सत्ता संभालने के बाद कई योजनाएं शुरू कर चुके हैं. चुनाव में उन्हें इसका लाभ भी मिलता रहा है. ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या इस बार भी नीतीश महिलाओं के भरोसे सत्ता में वापसी का बड़ा खेल खेल रहे हैं?

महिला वोटर्स पर नीतीश की खास नजर क्यों?

CSDS सर्वे और ECI के अनुसार बिहार में बीते कुछ चुनावों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों की तुलना में ज्यादा रहा है. साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में जहां पुरुषों ने 54.6% वोट डाले थे, वहीं महिलाओं ने 59.7% मतदान किया.

इतना ही नहीं साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही ट्रेंड दिखा. जहां वोटिंग के मामले में महिलाएं आगे रहीं. नीतीश कुमार को ये बात अच्छे से पता है कि अगर महिलाएं उनके साथ खड़ी हो गईं तो आधी लड़ाई तो ऐसे ही जीत सकते हैं.

महिलाओं के लिए एक के बाद एक बड़ी घोषणाएं

नीतीश सरकार ने बीते कुछ महीनों में महिलाओं के लिए कई योजनाएं लॉन्च की हैं. नीचे हम उनके कुछ ऐसे योजनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं. जिसका फायदा सीधा वहां की महिलाओं का होगा

महिलाओं के लिए नीतीश की योजनाएं

1. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना

नीतीश सरकार ने 2025–26 के बिहार बजट में ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के लिए 20,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम प्रावधान किया है. इस योजना के तहत सभी परिवार से एक महिला को खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए शुरुआती तौर पर सीधे बैंक खाते में 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी.

वहीं अगर वहीं महिला 6 महीने में उस बिजनेस को बढ़ाने में कामयाब होती हैं तो उसे आगे चलकर 2 लाख रुपये तक का अतिरिक्त लोन भी दिया जा सकता है. ये योजना खासतौर पर उन महिलाओं के लिए है जो बिहार की निवासी हों, जिनकी उम्र 18 से 50 साल के बीच हो और जो किसी अन्य सरकारी योजना से लाभ नहीं ले रही हों. इसके साथ ही, योजना का लाभ उठाने के लिए महिला का ‘जीविका समूह’ (Self Help Group) से जुड़ना जरूरी होगा.

इस योजना के तहत अपना बिजनेस शुरू करने के लिए शुरुआत में महिला का 10,000 की अनुदान राशि दी जाएगी, इसके बाद जरूरत के अनुसार ये राशि 15,000, 75,000 और अंत में 2 लाख तक बढ़ाया जा सकता है, जिसे 12% सालाना ब्याज दर पर 1 से 3 सालों में लौटाना होगा. नीतीश कुमार की मानें तो इस योजना से लगभग 2.7 करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए, जिस पर राज्य सरकार का अनुमानित खर्च 27,000 रुपये करोड़ तक पहुंच सकता है.

2. जीविका निधि योजना

‘जीविका निधि’ योजना के तहत बिहार सरकार ने ‘बिहार राज्य जीविका निधि क्रेडिट कॉरपोर्टिव फेड्रेशन लिमिटेड की शुरुआत की है, जिसे 1,000 करोड़ की वित्तीय संरचना के साथ लॉन्च किया गया है. इस पहल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और उन्होंने फेडरेशन को शुरुआती तौर पर 105 करोड़ रुपये की राशि भी सौंपी है.

यह फेडरेशन महिलाओं को कम ब्याज पर आसान लोन दिलवाने में मदद करेगा, ताकि महिलाएं छोटे स्तर पर अपना बिजनेस शुरू कर सकें या पहले से चल रहे काम को बढ़ा सकें.

3. पेंशन में भारी बढ़ोतरी

बिहार सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बड़ा बदलाव करते हुए वृद्ध, विधवा और दिव्यांग महिलाओं की मासिक पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दी है. यह बढ़ी हुई राशि जुलाई 2025 से लागू हो चुकी है और केवल लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जा रही है. इस फैसले से 1.09 करोड़ महिलाओं को सीधा फायदा मिलेगा.


4. महिला‑फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर

नीतीश कुमार ने पिछले कुछ महीनों में राज्य की महिलाओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महिला-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देना शुरू किया है. इसके तहत राज्य में पिंक टॉयलेट्स बनाए जा रहे हैं, जहां महिलाओं को सफाई, सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और सुरक्षा की सुविधा मिलेगी. इतना ही नहीं महिलाओं की सु्रक्षित यात्राओं को ध्यान में रखते हुए पिंक बसें चलाई जा रही हैं.

इसके अलावा महिलाओं के लिए अलग बाजार विकसित किए जा रहे हैं, जहां वे आत्मनिर्भर होकर व्यापार कर सकेंगी. उनकी फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल जिम वैन भी शुरू की जा रही हैं.

5. 'A S' वाले दांव से नीतीश कुमार ने बदल दिया समीकरण?

इन योजनाओं में सबसे ताजा योजना है आंगनवाड़ी सेविकाओं का मानदेय बढ़ाने का फैसला. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले 'A. S.' यानी आंगनबाड़ी सेविकाओं वाला दांव चल दिया है. वर्तमान में इस राज्य लगभग 1.2 लाख सेविकाएं हैं, जिनका असर खासकर ग्रामीण इलाकों में बहुत मजबूत है.

नीतीश के आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय 7000 रूपये से बढ़ाकर 9000 रूपये तथा आंगनबाड़ी सहायिका का मानदेय 4000 रूपये बढ़ाकर 4500 रूपये कर दिया है. यह बढ़ोतरी का सीधा फायदा एनडीए को ग्रामीण वोटर से मिल सकता है क्योंकि आंगनबाड़ी सेविकाएं गांव-गांव जाकर सरकार की योजनाओं का प्रचार करती हैं. इससे महिला सशक्तिकरण और सरकार की विश्वसनीयता दोनों मजबूत होंगे.

नीतीश की ‘सशक्त महिला’ स्ट्रैटेजी

नीतीश कुमार जब से सत्ता में आए हैं तब से महिलाओं के लिए काम करते रहे हैं. फिर चाहे वो चाहे 50% पंचायत आरक्षण हो या स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना. लेकिन इस बार मामला और बड़ा है. वो अब महिलाओं को सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि सीधा वोट बैंक मानकर चल रहे हैं. यही कारण है कि उनके लिए महिलाओं के लिए योजनाएं सिर्फ 'कल्याण' नहीं, बल्कि "सियासी निवेश" हैं. ताकि महिला वोटर नीतीश के साथ जुड़ी रहें और उन्हें फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दें.

अन्य राज्यों से जानिये क्या चुनाव के वक्त मिलता है फायदा

पश्चिम बंगाल: भारत के कई राज्यों में महिलाओं के लिए चलाई जा रही आर्थिक सहायता योजनाएं चुनावों में सरकारों को बड़ा फायदा पहुंचा रही हैं. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने साल 2021 में ‘लक्ष्मी भंडार योजना’ के तहत अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं को 1200 रुपये और अन्य महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह देने की शुरुआत की थी. इस योजना ने 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को ग्रामीण महिलाओं का समर्थन दिलाया.

मध्य प्रदेश: वहीं मध्य प्रदेश में ‘लाड़ली बहन योजना’ को विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले 2023 में लागू किया गया, जिसमें महिलाओं को 1250 रुपये प्रति महीने मिलते हैं. इस योजना के कारण ही बीजेपी को वहां महिलाओं का भरोसा मिला और प्रचंड बहुमत हासिल हुआ.

झारखंड: झारखंड में भी ‘मईंया सम्मान योजना’ के तहत 2024 विधानसभा चुनाव में महिलाओं को मिलने वाली राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 2500 की गई थी.

महाराष्ट्र: इस राज्य में भी ‘लाडकी बहिन योजना’ जून 2024 से महिलाओं को 1500 रुपये देती है, जिसने महायुति गठबंधन को मजबूत वोट बैंक दिया.

बिहार में भी महिलाओं की बढ़ती वोटिंग क्षमता को देखते हुए सरकार महिलाओं के लिए कई योजनाएं ला रही है. इन योजनाओं से महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं और सरकार को चुनावी लाभ भी मिलता है. यह साफ है कि महिलाओं को आर्थिक मदद देना अब राजनीतिक सफलता की कुंजी बन गया है.

 

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