बिहार में टल सकते हैं विधानसभा चुनाव, योगेंद्र यादव ने कर दिया बड़ा दावा!

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव पर संकट! योगेंद्र यादव ने मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया, चुनाव टलने की जताई आशंका. जानिए पूरा मामला.

बिहार चुनाव को लेकर योगेंद्र यादव का बड़ा बयान, मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप
बिहार चुनाव को लेकर योगेंद्र यादव का बड़ा बयान

न्यूज तक

• 05:32 PM • 21 Jul 2025

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Bihar Assembly Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर हंगामा मचा हुआ है. इस प्रक्रिया में गड़बड़ियों के आरोपों ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. विपक्ष का दावा है कि यह 'तुगलकी फरमान' गरीब और कमजोर वर्गों के वोट काटने की साजिश है, जिससे बिहार का चुनाव टल सकता है.

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पटना में हुई जन सुनवाई में लोगों ने खुलासा किया कि कागजों की बातें और जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग हैं. आइए जानते हैं आखिर अब चुनाव टालने की बात कहां से आई और क्या है यह पूरा मामला? 

जन सुनवाई में खुली पोल

पटना में हाल ही में हुई राज्य स्तरीय जन सुनवाई में बिहार के 20 जिलों से आए लोगों ने एसआईआर की खामियों को बताया. मशहूर एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने बताया कि कागजों में लिखी प्रक्रिया और जमीन पर हो रहे काम में कोई तालमेल नहीं है. नियम कहता है कि हर व्यक्ति को दो फॉर्म दिए जाएंगे, जिनमें से एक पावती के रूप में मिलेगा.

लेकिन लोगों का कहना है कि न तो दो फॉर्म दिए गए और न ही कोई पावती मिली. कई लोगों ने शिकायत की कि उनके हस्ताक्षर के बिना ही फॉर्म भर दिए गए, और उन्हें नहीं पता कि कौन से दस्तावेज जमा हुए.

'आंकड़ों का खेल, फर्जीवाड़े का मेल'

योगेंद्र यादव ने इस प्रक्रिया को 'फर्जीवाड़ा' करार दिया. उनका कहना है कि यह सब सुप्रीम कोर्ट को 95-97% काम पूरा होने का आंकड़ा दिखाने के लिए किया जा रहा है. लोग प्रक्रिया से अनजान हैं, और उन्हें यह तक नहीं बताया जा रहा कि कौन से दस्तावेजों की जरूरत है. बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घरों तक नहीं पहुंच रहे, और लोग खुद उनके पास जाकर फॉर्म भर रहे हैं. फिर भी, प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है.

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1 अगस्त के बाद नाम 'कटाई-छटाई' का खतरा

1 अगस्त को ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल जारी होने के बाद नामों की 'कटाई-छटाई' शुरू हो सकती है. योगेंद्र यादव ने चेतावनी दी कि जिनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं होंगे, उनके नाम कट सकते हैं. खासकर गरीब, मजदूर, प्रवासी और महिलाएं इसकी चपेट में आ सकते हैं, क्योंकि महिलाओं से मायके का सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं.

अगर यह प्रक्रिया मनमाने ढंग से हुई, तो अलग-अलग जिलों में अलग-अलग समुदाय प्रभावित हो सकते हैं. मतलब हर जिले में अलग-अलग व्यवस्थाएं रहेंगी.

विधानसभा में विपक्ष का हंगामा

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों, खासकर राजद, भाकपा माले और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा किया. विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया सत्ताधारी बीजेपी और जेडीयू को फायदा पहुंचाने के लिए है. योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर गरीब और कमजोर वर्गों के वोट कटे, तो राजद, भाकपा माले और कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होगा, जबकि बीजेपी और जेडीयू पर कम असर पड़ेगा.

चुनाव टलने की आशंका

योगेंद्र यादव ने चेतावनी दी कि अगर चुनाव आयोग अपने नियम नहीं बदलता, तो ड्राफ्ट रोल के बाद बड़े पैमाने पर नाम कटने से मामला कोर्ट में जाएगा, और बिहार का विधानसभा चुनाव टल सकता है. उन्होंने इसे 'असंभव एक्सरसाइज' और 'तुगलकी फरमान' करार दिया. सुप्रीम कोर्ट के जज भी इस प्रक्रिया को तीन महीने में पूरा करना अव्यवहारिक मान चुके हैं. अगर जून की मतदाता सूची को मान्य रखा जाए, तो शायद चुनाव समय पर हो, वरना देरी तय है.

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