बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ विपक्षी दलों की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है. इस मामले में चुनाव आयोग को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि शीर्ष अदालत ने एसआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि, कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को करेगा.
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जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण और कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं, जबकि चुनाव आयोग का पक्ष पूर्व अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने रखा.
जरूरी दास्तावेजों की सूची में हो सकता है बदलाव
कोर्ट ने साफ किया है कि वोटर पहचान के लिए जरूरी दस्तावेजों की जो सूची है, वह अंतिम नहीं है और इसमें बदलाव हो सकता है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को पहचान के तौर पर मान्यता दी जाए.
इस पर चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई और कहा कि इन दस्तावेजों के आधार पर वोटर लिस्ट में कई गलतियां और अवैध नाम शामिल हो जाते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दिया, "हम आपको रोक नहीं रहे हैं. हम तो बस कह रहे हैं कि आप कानून के दायरे में रहकर काम करें. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कोर्ट में कहा कि आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी को पहचान पत्र के रूप में शामिल किया जाना चाहिए.
इस फैसले से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और पहचान की विश्वसनीयता को लेकर नई दिशा मिल सकती है.
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