Jan Suraj impact: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी 'जन सुराज' ने कई सीटों पर बड़े उलटफेर किए हैं. भले ही पार्टी 238 में से 236 सीटों पर अपनी जमानत गंवा बैठी हो लेकिन 35 विधानसभा क्षेत्रों में उसके वोट इतने निर्णायक थे कि उन्होंने जीत-हार का समीकरण बदल दिया. इन 35 सीटों पर जन सुराज को मिले वोट जीत के अंतर से ज्यादा थे.
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35 सीटों पर JSP के वोट जीत के अंतर से ज्यादा
चुनावी डेटा बताता है कि कुल 35 सीटों पर जन सुराज पार्टी को मिले वोट जीत के अंतर से ज्यादा थे. इसका मतलब है कि JSP की मौजूदगी के चलते इन सीटों पर सीधे तौर पर परिणाम को प्रभावित किया है और मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया.
NDA को सबसे ज्यादा फायदा मिला
JSP की एंट्री का सबसे ज्यादा फायदा NDA को मिला. इन 35 सीटों में से 19 सीटें NDA के खाते में चली गई. JDU को इनमें सबसे ज्यादा 10 सीटें जीतीं, जबकि BJP को 5 सीटें मिली. वहीं, चिराग पासवान की पार्टी LJP (RV) को 3 और RLM को 1 सीट मिली. माना जा रहा है कि कई जगहों पर JSP के वोटों ने महागठबंधन की पकड़ कमजोर कर दी, जिससे NDA को सीधा फायदा मिला.
महागठबंधन की पकड़ भी कमजोर हुई
महागठबंधन को इन प्रभावित सीटों में 14 सीटें मिलीं. इसमें RJD ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि कांग्रेस को 2 सीटें मिलीं. सीपीएम, सीपीआईएमएल-एल और IIP को एक-एक सीट पर जीत मिली. दो सीटों पर AIMIM और BSP को फायदा पहुंचा और यहां भी JSP के वोट जीत के अंतर से ज्यादा रहे, जिससे मुकाबला और कठिन हो गया.
जन सुराज का ग्राउंड पर असर दिखा
दिलचस्प बात यह है कि जन सुराज पार्टी 115 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही और मरहौरा सीट पर दूसरे नंबर पर पहुंच गई. इससे साफ है कि पहली बार चुनाव लड़ने के बावजूद JSP कई जगह मजबूत विकल्प बनकर सामने आई है.
चुनाव से पहले कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा था कि प्रशांत किशोर केवल स्पॉयलर की भूमिका निभाएंगे. कुछ का मानना था कि JSP भाजपा के सवर्ण वोटों में सेंध लगाएगी जबकि कुछ को विश्वास था कि वह युवा और एंटी-इनकम्बेंसी वोट बांट सकती है.
नतीजों से साफ होता दिख रहा है कि जन सुराज ने किसी एक पार्टी का वोट सीधे तौर पर नहीं काटा लेकिन 35 सीटों पर मुकाबले का समीकरण जरूर बदल दिया.
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