बिहार में हर प्रखंड की होगी अपनी पहचान: एक प्रखंड, एक उत्पाद योजना शुरू

Bihar News: बिहार सरकार ने “एक प्रखंड, एक उत्पाद” योजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य हर प्रखंड के विशिष्ट उत्पाद को वैश्विक पहचान दिलाना है.

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उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा(फाइल फोटो)

न्यूज तक

• 04:46 PM • 09 Jul 2025

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Bihar News: बिहार के हर प्रखंड में छिपी खासियत को अब दुनिया देखेगी! राज्य सरकार ने हर प्रखंड से एक खास उत्पाद को चुनकर उसे वैश्विक पहचान दिलाने की मुहिम शुरू की है. चाहे वह मधुबनी की मिथिला पेंटिंग हो, भागलपुर की सिल्क या फिर स्थानीय कृषि उत्पाद, अब हर प्रखंड अपने अनूठे उत्पाद के लिए जाना जाएगा. यह पहल न सिर्फ स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देगी, बल्कि बिहार को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम और आगे ले जाएगी.

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हर प्रखंड का एक खास उत्पाद

उद्योग विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने प्रखंडों के खास उत्पादों की पहचान करें. इनमें कृषि आधारित उत्पाद, वस्त्र, चर्म, कला, शिल्प, और उद्यम से जुड़े उत्पाद शामिल हैं. सभी जिला महाप्रबंधकों को 10 दिनों के भीतर इन उत्पादों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. इन उत्पादों की खासियतों को सामने लाकर उन्हें वैश्विक बाजार में पहचान दिलाने की योजना है.

आत्मनिर्भर भारत का सपना

यह पहल केंद्र सरकार की "एक जिला, एक उत्पाद" योजना का हिस्सा है, जिसे बिहार में "एक प्रखंड, एक उत्पाद" के रूप में लागू किया जा रहा है. इसका मकसद हर प्रखंड को उसके विशेष उत्पाद के जरिए निर्यात केंद्र बनाना है. इससे स्थानीय व्यवसायों, कारीगरों और उद्यमियों को सहारा मिलेगा, साथ ही बिहार के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी.

सकारात्मक परिणाम की उम्मीद

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा, “हर प्रखंड में कुछ न कुछ खास है. इस पहल से न सिर्फ प्रखंड की पहचान बनेगी, बल्कि स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा. केंद्र सरकार की इस योजना से देश के हर जिले की विशेषता सामने आ रही है, और बिहार भी इसमें पीछे नहीं रहेगा.” उन्होंने बताया कि सभी जिलों से 10 दिनों में उत्पादों की सूची मांगी गई है, जिसके आधार पर आगे की कार्ययोजना तैयार होगी.

बिहार के लिए नया अवसर

यह योजना बिहार के लिए एक बड़ा मौका है. स्थानीय कारीगरों, किसानों और उद्यमियों को अपने उत्पादों को दुनिया तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा. इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान भी मजबूत होगी.

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