बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की शानदार जीत के बाद शपथ ग्रहण और नए मंत्रिमंडल का गठन भी कर लिया गया है. इस दौरान एक नाम खूब चर्चा में रहा जो कि RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश का है. दीपक प्रकाश ने बिना चुनाव लड़े ही मंत्री पद की शपथ ली, जिसके बाद विपक्ष ने इसे परिवारवाद ठहराया है. लेकिन इन्हीं सब के बीच एक बार फिर लालू परिवार की एंट्री हो गई है, क्योंकि सियासी गलियारों में तेज प्रताप की आरजेडी में वापसी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. दरअसल आरजेडी और तेज प्रताप दोनों ने दीपक प्रकाश पर निशाना साधते हुए एक ही कंटेंट लिखकर सरकार को घेरने की कोशिश की है. आइए विस्तार से समझते हैं पूरी कहानी.
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पहले समझिए पूरा मामला?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जीत के बाद मुख्यमंत्री के अलावा 26 मंत्रियों ने शपथ लिया था. इस दौरान उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश ने भी शपथ लिया, जबकि उनकी पार्टी के 4 विधायक जीत कर आए थे. इसके बाद 22 नवंबर को राजद के ऑफिशियल X हैंडल से एक पोस्ट हुआ जिसमें उन्होंने लिखा कि, सासाराम में जमानत जब्त कराने वाले निर्दलीय प्रत्याशी रामनारायण पासवान के काउंटिंग एजेंट बने दीपक प्रकाश बिना चुनाव लड़े नीतीश सरकार में मंत्री बन गए. है ना मोदी-नीतीश का जादू? अब और कैसा विकास चाहिए बिहार में?
यहां देखें राजद का पोस्ट
इस पोस्ट का ज्यों का त्यों कंटेंट तेज प्रताप ने अब 24 नवंबर को अपने X हैंडल पर पोस्ट किया है. इस पोस्ट के आते ही तेज प्रताप यादव की आरजेडी में वापसी की चर्चा तेज होने लगी. साथ ही यह सवाल भी उठने लगा कि तेज प्रताप यादव अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल को छोड़कर अब अपनी पुरानी पार्टी(राजद) और परिवार के वापस आ जाएंगे क्या?
यहां देखें तेज प्रताप का पोस्ट
क्यों उठी चर्चा?
दरअसल मई महीने में राजद सुप्रीमो लालू यादव ने तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से दूर कर दिया था. इसके बाद चुनाव से पहले तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी बनाई जनशक्ति जनता दल और चुनावी मैदान में 43 उम्मीदवार भी उतारें, हालांकि उनका खाता भी नहीं खुला. चुनाव के दौरान तेज प्रताप को लगातार दो दिन रवि किशन के साथ एयरपोर्ट पर देखा गया. साथ ही चुनाव परिणाम के बाद तेज प्रताप की पार्टी की ओर से NDA को नैतिक समर्थन की भी बात सामने आई थी.
ऐसे मधुर संबंध के बीच तेज प्रताप ने जो दीपक के बहाने नीतीश पर निशाना साधा है उसने सबको चौंका दिया है. और यहीं वजह है कि सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि तेज प्रताप और तेजस्वी फिर से एक बार साथ आ सकते हैं. हालांकि अभी तक तो कयास लगाए जा रहे हैं.
दीपक प्रकाश बने थे निर्दलीय उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट
सोशल मीडिया पर एक आईडी कार्ड वायरल हो रहा है जिसमें की दीपक प्रकाश को एक निर्दलीय उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट बताया जा रहा है. अब इसे लेकर भी चर्चा छिड़ी हुई है कि ऐसा क्या हुआ था कि जब दीपक की मां और उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता मैदान में थी तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट क्यों बने? इसका जवाब यह है कि निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान ने चुनाव से पहले ही स्नेहलता को समर्थन दे दिया था. इसलिए दीपक प्रकाश ने काउंटिंग वाले दिन अपना कार्ड बनवाया था जो अभी खूब ही वायरल हो रहा है.
दीपक प्रकाश को क्यों मंत्री बनाया गया?
दीपक प्रकाश के मंत्री बनते ही परिवारवाद की चर्चा तेज हो गई. राजद ने अपने ऑफिशियल X अकाउंट से परिवारवाद पर एक पोस्ट करते हुए भी उन्हें घेरा था. मामला बढ़ता देख उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी चुप्पी तोड़ी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पोस्ट कर लिखा कि, 'मेरा पक्ष है कि अगर आपने हमारे निर्णय को परिवारवाद की श्रेणी में रखा है, तो जरा समझिए मेरी विवशता को. पार्टी के अस्तित्व व भविष्य को बचाने व बनाए रखने के लिए मेरा यह कदम जरुरी ही नहीं अपरिहार्य था.'
उन्होंने आगे लिखा कि, कुछ लोगों को तो जहर पीना ही पड़ता है. वर्तमान के निर्णय से परिवारवाद का आरोप मेरे उपर लगेगा. यह जानते/समझते हुए भी निर्णय लेना पड़ा, जो मेरे लिए जहर पीने के बराबर था. फिर भी मैंने ऐसा निर्णय लिया. पार्टी को बनाए/बचाए रखने की जिद्द को मैंने प्राथमिकता दी. अपनी लोकप्रियता को कई बार जोखिम में डाले बिना कड़ा/बड़ा निर्णय लेना संभव नहीं होता, सो मैंने लिया.
यहां देखें उपेंद्र कुशवाहा का पोस्ट
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