बिहार चुनाव के लिए पार्टियों ने कमर कस ली है और जनता ने भी अपना मन बनाना शुरू कर दिया है. इधर चुनाव से पहले आ रहे प्री-पोल सर्वे में लोक पोल ने भी अपने ताजा आंकड़े जारी कर दिए हैं. सर्वे के नतीजों पर गौर करें तो वे चौंकाने वाले हैं.
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लोक पोल के नतीजों की बात करें तो यहां महागठबंधन के लिए सीटों का अनुमान कहीं न कहीं NDA के लिए झटका देने वाला है. यदि आज चुनाव हो जाए तो महागठबंधन को 118 से 126 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं एनडीए को 105 से 114 सीटें मिलने का अंदेशा जताया गया है.
लोक पोल का कहना है कि तीन सप्ताह तक जमीनी स्तर पर काम करने, गहन फील्डवर्क और बूथ स्तर की जानकारी के बाद सर्वे के नतीजे जनता के सामने लाए गए हैं. ये नतीजे आज के समय का अनुमान बता रहे हैं. अभी चुनाव तक जनता का मन बदल सकता है और मतदान होते-होते ये प्रोजेक्शन बदल सकते हैं.
किसको कितनी सीटें और वोट शेयर?
पार्टी/गठबंधन | सीटों का अनुमान | वोट शेयर |
NDA | 105-114 | 38-41% |
महागठबंधन | 118-126 | 39-42% |
अन्य | 2-5 | 12-16% |
महागठबंधन के ज्यादा सीटों का अनुमान क्यों?
- माइग्रेशन और बेरोजगारी: बिहार में कुल 243 सीटें हैं और जीत के लिए 122 सीटों की जरूरत है. आज के वक्त यदि चुनाव हो जाए तो महागठबंधन के सरकार बनाने का अनुमान जताया जा रहा है.
- आरक्षण के मुद्दे को OBC-EBC का समर्थन: तेजस्वी के आरक्षण के मुद्दे को ओबीसी और ईबीसी का समर्थन मिला है, जबकि कांग्रेस ने जाति जनगणना की मदद से एससी और ईबीसी (जैसे, चमार, मुसहर, मल्लाह) के बीच अपना आधार बढ़ाया है.
- नीतीश सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर: नीतीश की छवि और शासन की विश्वसनीयता सत्ता विरोधी लहर, स्वास्थ्य समस्याओं, भ्रष्टाचार और गिरती कानून-व्यवस्था के कारण प्रभावित हो रही है.
- EBC का समर्थन NDA खो रहा है: आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी का समर्थन एनडीए खो रहा है. क्योंकि कई लोग नीतीश कुमार को भाजपा की कठपुतली मानते हैं और तंती और कुशवाहाओं के बीच जेडी(यू) का आधार कम हो रहा है.
- मुस्लिम और यादवों का एकीकरण: मुस्लिम और यादवों का एकीकरण भारत को मजबूत कर रहा है, जबकि यादवों के बीच जेडी(यू) का प्रभाव कम हो रहा है.
- BJP के कोर वोटबैंक में जनसुराज की सेंध: भाजपा को उच्च जातियों और बनियों का समर्थन हासिल है, लेकिन जन सुराज, जदयू के इलाकों में उच्च जातियों के मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है.
- वोट चोरी का भी असर: "वोट चोरी" की कहानी ने मोदी की अपील को कमजोर कर दिया है और महिला मतदाता माई बहन मन योजना और मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं के कारण महागठबंधन की ओर रुख कर रही हैं.
- राहुल गांधी की सुधरी छवि: राहुल गांधी की छवि में सुधार हुआ है, उनकी मतदाता अधिकार यात्रा ने उन्हें जन मुद्दों पर केंद्रित एक गंभीर नेता के रूप में चित्रित किया है.
- UP के सीमावर्ती इलाकों में अलग समीकरण: उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती सीटों पर बसपा की गिरावट ने महागठबंधन के लिए ज्यादा अवसर पैदा किए हैं.
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