बिहार में शराबबंदी को लेकर महिलाओं की भूमिका दिन-ब-दिन और मजबूत होती जा रही है. अब महिलाएं सिर्फ घर संभालने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज में बदलाव लाने की दिशा में भी बड़ा कदम उठा रही हैं. राज्य सरकार द्वारा लागू पूर्ण शराबबंदी कानून को सफल बनाने में महिलाएं दिल से जुड़ चुकी हैं और अवैध शराब के खिलाफ खुलकर आवाज उठा रही हैं.
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शिकायत दर्ज कराने में महिलाएं आगे
राज्य के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा जारी किए गए दो टोल-फ्री नंबर—15545 और 18003456268— पर रोजाना सैकड़ों कॉल आ रहे हैं. इनमें बड़ी तादाद में महिलाएं शामिल हैं जो अपने पति, पिता, बेटे या आसपास के लोगों द्वारा शराब के सेवन या तस्करी की सूचना दे रही हैं.इस साल जनवरी से जून के बीच 1,211 महिलाओं ने शराब से जुड़ी गतिविधियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. अकेले जनवरी में 270 महिलाओं ने शिकायत की, जो अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है.
हर दिन सैकड़ों कॉल, महिलाओं का हौसला बुलंद
बीते कुछ सालों में इन टोल-फ्री नंबरों पर शिकायत दर्ज कराने की प्रवृत्ति में लगातार इजाफा हुआ है.
- 2022 से मई 2025 तक कुल 3,96,305 कॉल दर्ज हुए हैं.
- 2022 में औसतन 331, 2023 में 337 और 2024 में 308 कॉल रोजाना दर्ज किए गए.
- 2025 की शुरुआत में यह आंकड़ा 200 से 300 के बीच बना हुआ है.
वहीं जनवरी से मई 2025 तक हर दिन औसतन 200 से 319 के बीच कॉल आए हैं, जिससे यह साफ है कि शराबबंदी कानून को लेकर आम जनता, खासकर महिलाएं, कितनी गंभीर हैं.
घर-घर जागरूकता
सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए टोल-फ्री नंबर बिजली के खंभों तक पर लिखवाए हैं ताकि हर कोई आसानी से शिकायत कर सके. महिलाओं को जब यह लगा कि शराब का सेवन घरेलू हिंसा, सामाजिक बुराइयों और परिवार में टूट की बड़ी वजह बन रहा है, तो उन्होंने इसे रोकने का बीड़ा उठा लिया. अब वे किसी भी तरह की हिचकिचाहट के बिना सीधा कॉल कर शिकायत दर्ज करवा रही हैं.
छापेमारी से बढ़ी लोगों में सर्तकता
पुलिस और विभागीय टीमों की लगातार छापेमारी से शराब तस्करों में डर का माहौल है. पिछले तीन सालों में 20,000 से अधिक छापेमारी की गई है और 14,000 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. साल 2025 में अब तक रोजाना औसतन दो गिरफ्तारियां हो रही हैं. ऐसे में साफ है कि प्रशासन और आम जनता मिलकर इस कानून को जमीनी स्तर पर सफल बना रहे हैं.
महिलाओं की लड़ाई समाज के हित में
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लागू की गई शराबबंदी का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और घरेलू हिंसा पर रोक लगाना था. आज जब महिलाएं खुद इस लड़ाई में भागीदार बन रही हैं, तो यह कानून सिर्फ एक सरकारी आदेश नहीं, बल्कि जनांदोलन का रूप ले चुका है.
बिहार की महिलाएं अब सिर्फ शिकायत नहीं कर रहीं, बल्कि अपने घर और समाज को नशा मुक्त बनाने की मुहिम में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. ये कदम न सिर्फ शराबबंदी को मजबूती दे रहे हैं, बल्कि एक बेहतर, सुरक्षित और स्वस्थ समाज की ओर भी ले जा रहे हैं.
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